RANCHI: ट्रेन में हर दिन लाखों लोग यात्रा करते हैं। लेकिन किसी भी मिडिल क्लास फैमिली के लिए ट्रेन में सफर करना बड़ी बात होती है। लेकिन वहां पैसे खर्च करने के बाद भी उन्हें रिजर्वेशन और एक्सप्रेस ट्रेनों में भी बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। जिससे कि लंबी दूरी के सफर में पैसेंजर्स की हालत खराब हो जाती है। वहीं परेशानी से उनका सफर और भी लंबा हो जाता है। सरकार ट्विटर पर समस्याओं के समाधान का दावा तो करती है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। स्टेशन पर भी अव्यवस्था से पैसेंजर्स अब ट्रेनों के सफर से दूर भागने लगे हैं। इसी को लेकर ट्रेनों में सफर करने वाले पैसेंजर्स ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साथ अपने एक्सपीरियंस शेयर किए।

क्या कहते हैं रेलयात्री

हाल के दिनों में ट्रेन से सफर करना जंग जीतने जैसा हो गया है। एक तो ट्रेनों का टाइम टेबल नहीं सुधर रहा है। उसपर गंदगी की मार से सफर करना और भी कष्टदायक हो जाता है। हर साल ट्रेनों का किराया तो सरकार बढ़ा देती है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता।

निशांत यादव

ट्रेन में पहले का हमारा सफर अच्छा होता था। लेकिन अब तो सफर करना ही बेकार लगता है। इससे तो अच्छा बस से हम सफर करें तो ज्यादा अच्छा होगा। स्टेशन की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है। प्लेटफार्म पर सफाई भले होती है लेकिन बैठने के लिए सीटें नहीं हैं। वेटिंग रूम में भी जगह नहीं होती। पैसेंजर्स के अनुसार ही स्टेशन पर सुविधाएं होनी चाहिए।

ब्रजेश कुमार

कुछेक मामलों में ट्विट पर भी एक्शन होता है। इसके बाद रेलवे वाहवाही लूट लेता है। लेकिन सच तो यह है कि ट्रेनों से लेकर स्टेशन और प्लेटफार्म हर जगह हालात बुरे हैं। कहीं भी पैसेंजर्स की सुविधा का ख्याल प्रबंधन नहीं रख पा रहा है। यही वजह है कि ट्रेन से सफर करने वाले पैसेंजर्स कम होते जा रहे हैं। पैसे खर्च करने के बाद भी जब सुविधा न मिले तो लोग क्या करेंगे।

अजय कुमार

लंबी दूरी की कुछेक ट्रेन होने की वजह से पैसेंजर्स भी काफी हो जाते हैं। वहीं लोग भी खाने की चीजें खाकर उसके रैपर ट्रेन में ही फेंक देते हैं। इसके अलावा भी जो मनमर्जी लोग सीट के नीचे ही डालते चलते हैं। लेकिन हाउस कीपिंग वाले उसे भी नहीं हटाते। पैसेंजर्स इसी गंदगी के बीच सफर करते हैं। आखिर रेलवे की सफाई व्यवस्था कैसी है जो पैसेंजर्स परेशान रहते हैं।

राजीव

न तो कोच में सफाई होती है और न ही टॉयलेट की। रेलवे को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। जिस तरह से टिकट महंगा हो गया तो सुविधा भी मिलनी चाहिए। लेकिन यहां तो बस अपनी वाहवाही लूटने की होड़ लगी है। भले ही पैसेंजर्स परेशान रहे, लेकिन अधिकारी अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगे रहते हैं। अब प्लेटफार्म पर पानी भी नहीं मिलता है, तो इसके लिए ट्विट करना होगा क्या?

मुन्ना सिंह

ट्रेन में हमलोग सफर इसलिए करते हैं कि सुविधाएं मिले। लेकिन यहां तो कचरा जमा है। इसी कचरे के बीच लंबा सफर तय करना है। आखिर रेलवे इसकी सफाई क्यों नहीं कराता। हमलोग तो एक्सप्रेस में सफर इसलिए करते है ताकि भीड़-भाड़ न हो। इसके अलावा कहीं गंदगी भी नहीं मिलेगी। लेकिन सभी ट्रेनों को ही लोकल ट्रेन बना दिया गया है। अधिकारियों को इस पर ध्यान देना होगा।

करण कुमार

Posted By: Inextlive