- रविवार को मेडिकल में सुविधाओं से महरूम रहते हैं मरीज

- इमरजेंसी की एसी व अन्य स्थानों पर नहीं चलते पंखे

-यहां तक कि संबंधित फार्मासिस्ट ड्यूटी से रहते हैं नदारद

Meerut। रविवार को मेडिकल कॉलेज पूरी तरह से रेजिडेंट डॉक्टर्स और नर्सेज के हवाले रहता है। संडे के दिन डॉक्टर्स ड्यूटी पर नहीं होते इसलिए मरीजों को भी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। इमरजेंसी की एसी तक चलाने वाला कोई नहीं होता। इसके अलावा ट्रॉमा सेंटर में पंखे नहीं चलाए जाते। यहां तक संबंधित फार्मासिस्ट भी संडे मनाने में व्यस्त रहते हैं।

छा जाता है अंधेरा

वैसे तो यहां कई जेनरेटर हैं, जो वक्त बेवक्त चलाए भी जाते हैं। मगर संडे के दिन इन्हें चलाने की जहमत नहीं उठाई जाती। मरीजों की मजबूरी है कि वो गर्मी में ही रहें। अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर आईसीसीयू तक में कई क्रिटिकल मरीज भर्ती हैं, लेकिन ये सब अपनी बीमारी के साथ गर्मी से भी लड़ रहे हैं, जिन दिनों ओपीडी होती है, उन दिनों में जेनरेटर चलाए जाते हैं मगर संडे को ऐसा नहीं होता। इमरजेंसी, ओटी, बच्चा वार्ड, आईसीयू को छोड़कर हर वार्ड में मरीजों को गर्मी का सामना करना पड़ता है।

डॉक्टरों के लिए चलते हैं एसी

आईसीसीयू नए बने वार्ड में से एक है। इसके अलावा प्राइवेट अस्पताल जैसी सुविधा देने वाली इमरजेंसी में भी कई एसी लगे हैं, लेकिन संडे के दिन बस लाइट आने तक ही एसी चलाई जाती है। रविवार को चूंकि डॉक्टर नहीं होते, इसलिए जेनरेटर नहीं चलाया जाता। रविवार को पूछने पर स्टाफ ने बताया कि ये एसी बस डॉक्टरों के लिए लगे हैं।

यहां सब बंद है

पूरे मेडिकल में कई ऐसी मशीनें हैं। संडे के दिन इन मशीनों को भी कंप्लीट रेस्ट दिया जाता है। बेशक ये मशीनें मरीजों के लिए जरूरी हों, मगर इस बात को सोचना वाला पूरे मेडिकल कॉलेज में कोई नहीं है। हर विभाग और हर वार्ड में संडे का छुट्टी वाला माहौल साफ दिखता है। ब्लड बैंक से लेकर ट्रॉमा सेंटर, एमआरआई सेंटर, एक्सरे सेंटर सब रेस्ट फरमाते हैं। मरीज को जरूरत पड़ने पर प्राइवेट सुविधाओं का सहारा लेना पड़ता है।

पानी की टंकी भी बंद

संडे के दिन मेडिकल के कर्मचारी व डॉक्टर इस तरह रेस्ट फरमाते हैं कि फ्रीजर तक नहीं खोलते। बाकायदा शनिवार को फ्रीजर पर ताला लगाकर जाते हैं। रविवार को इमरजेंसी में भर्ती मरीज व तीमारदार पानी के लिए बोतल बंद पानी खरीदने को मजबूर होते हैं।

संडे छुट्टी का दिन होता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है अस्पताल में भर्ती मरीजों की विजिट व देख-रेख न की जाए। जूनियर रेजीडेंट जेआर के अलावा जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ डॉक्टर को भी मरीज को देखने जाने का नियम है।

डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल अस्पताल

Posted By: Inextlive