- अनुपूरक बजट में किया गया एयर एंबुलेंस के लिए धनराशि का आवंटन

- दुर्गम क्षेत्रों में हेलीपैड बनाने की नहीं हुई घोषणा

- मरीज के इलाज का 2ार्च कौन वहन करेगा, यह 5ाी तय नहीं

DEHRADUN : राज्य सरकार ने गैरसैंण सत्र में पेश किये गये अनुपूरक बजट में एयर एंबुलेंस सेवा के लिए धनराशि का आवंटन करके अपना चुनावी संकल्प पूरा करने की दिशा में एक कदम तो उठाया है, लेकिन इस सेवा को शुरू करने के लिए दुर्गम क्षेत्रों में हेलीपैड बनाने के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि दुर्गम इलाकों में जब हैलीपैड ही नहीं होंगे तो एयर एंबुलेंस कैसे संचालित होगी और मरीजों को इसका लाभ कैसे मिलेगा?

क्या है योजना

पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के भारी अभाव को देखते हुए यह योजना बनाई गई है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में इस तरह की सेवा शुरू करने की घोषणा की थी। सरकार गठन के तुरन्त बाद सरकार ने स्वास्थ्य निदेशालय को इस संबंध में विस्तृत योजना बनाने को कहा था। स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में दुर्गम क्षेत्रों के मरीजों और गंभीर रोगियों के लिए यह सेवा शुरू करने की बात कही गई है।

पहले हेलीपैड की जरूरत

स्वास्थ्य निदेशालय की रिपोर्ट में इसके लिए उन क्षेत्रों में हेलीपैड बनाने का सुझाव दिया गया है, जहां मोटर मार्ग उपलब्ध नहीं है, लेकिन अब तक ऐसे स्थानों का चिह्नीकरण का काम भी नहीं हो सका है। ऐसे में एयर एंबुलेंस सेवा शुरू हो भी गई तो इसका फायदा जरूरतमंदों को मिलने की उम्मीद काफी कम है।

डोली-पालकी सेवा भी जरूरी

पूर्ववर्ती सरकार ने उन दुर्गम क्षेत्रों में आपातकालीन सेवा 108 के तहत डोली-पालकी सेवा भी शुरू की थी। इस सेवा के तहत दुर्गम तोकों से गंभीर मरीजों को डोली-पालकी में मोटर रोड तक पहुंचाने की व्यवस्था थी। यह सेवा अब अघोषित रूप से बंद हो गई है। एयर एंबुलेंस सेवा भी बिना डोली-पालकी के संभव नहीं है। मरीज को हेलीपैड तक पहुंचाने के लिए यह सेवा जरूरी होगी।

कहां ले जाया जाएगा मरीज

एयर एंबुलेंस शुरू करने से पूर्व यह भी तय किया जाना है कि एयर लिफ्ट किये गये मरीज को किस अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। फिलहाल राज्य में किसी भी सरकारी अस्पताल की स्थिति ऐसी नहीं है कि वहां गंभीर मरीज को भर्ती किया जा सके, ऐसे में इस तरह के मरीजों को किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करना होगा, लेकिन अस्पताल का चार्ज सरकार कहां से भरेगी, इसका भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

कैसे मैनेज होगा खर्चा

एयर एंबुलेंस पर सरकार को बड़ी धनराशि खर्च करनी होगी। हेलीकॉप्टर का एक घंटे का खर्च एक लाख रुपये से ज्यादा आएगा, जबकि हेलीपैड बनाने और अस्पताल में मरीज का इलाज करने का खर्च लगाकर यह राशि काफी बड़ी हो जाने की संभावना है।

Posted By: Inextlive