Dehradun : आपदा के बाद बेहतर सरकारी मदद का ढोल पीटने वाली प्रदेश सरकार के दावे महज दावे ही साबित हो रहे हैं. आपदा से बुरी तरह प्रभावित रामाबाड़ा में घायल हुए युवक के घर जाने की राह नहीं बन पा रही. जून में आई भीषण आपदा के दौरान राकेश लाल घायलावस्था में दून हॉस्पिटल लाया गया था. जहां ट्रीटमेंट के दौरान उसकी जान बचाने के लिए एक पैर तक काटना पड़ा. बेहतर उपचार के बाद वह घर जाने की स्थिति में आ चुका है. परिवार के सदस्य भी हॉस्पिटल में प्रशासन द्वारा दिए जाने वाले इंतजार की बाट जोह रहे हैं.


वार्ड नंबर चार बेड नंबर बत्तीस राकेश लाल निवासी ब्लाक जखौली जनपद के लिए बेड नंबर 32 पहचान बन चुका है। यहां एडमिट मरीजों के साथ ही बाहर से आने वाले अन्य भी जानते हैैं इस बेड पर रामाबाड़ा में 17 जून को घायल हुआ राकेश है। भारी मलबा गिरने के कारण युवक का लेफ्ट लेग बुरी तरह जख्मी हो गया था। इसे ऑपरेशन कर बाद में शरीर से अलग करना पड़ा। खच्चर चलाकर जीवन यापन करने वाले इस शख्स के लिए जिंदगी की राह वैसे ही मुश्किल हो चुकी है। अब बड़ी परेशानी यह है कि वह घर कैसे जाए। अस्पताल प्रशासन पहले ही कह चुका है यह काम जिला प्रशासन और सरकार का है।सीनियर ऑफिसर को दी गई जानकारी
राकेश अब स्वस्थ हो चुका है। वह जल्द से जल्द घर जाना चाहता है, लेकिन सरकारी सिस्टम यहां भी आड़े आ रहा है। उसे घर तक ले जाने के लिए कोई मदद नहीं मिल पा रही। दून हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ। आरएस असवाल के मुताबिक इसकी जानकारी डीजी हेल्थ को दी जा चुकी है। उम्मीद है राकेश एक दो  दिन में जखौली ब्लाक स्थित अपने घर चला जाएगा। युवक अपने चाचा और रिश्तेदारों के साथ रामाबाड़ा में खच्चर चलाता था। उसके सामने अब सबसे बड़ी परेशानी परिवार चला पाने की है। परेशानी एक नहीं कई युवक के घर जाने की परेशानी केवल प्रशासनिक ही नहीं है। यहां सबसे बड़ा समस्या यह है कि उसके घर तक जाने का मार्ग भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। ऐसे में उसे अपने जिले के किसी रिश्तेदार के घर रुकना पड़ेगा। एक पैर कट जाने की वजह से पहले ही अपंग हो चुके राकेश के सामने घर तक दूरी तय करना बड़ी चुनौती है। सीएमएस डा। असवाल कहते हैैं अभी मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया गया है हालांकि, वह पूरी तरह स्वस्थ है, लेकिन वह अभी इस स्थिति में नही है कि, पहाड़ी मार्ग पर पैदल चल सके।

Posted By: Inextlive