RANCHI: राज्य की एकमात्र बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के माध्यम से राज्यभर के 16 कृषि विज्ञान केन्द्रों का संचालन होता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ तीन केन्द्र में ही वैज्ञानिक हैं, बाकी के 13 केन्द्र बिना हेड साइंटिस्ट के ही चल रहे हैं। साइंटिस्ट की कमी की वजह से कृषि विज्ञान केन्द्रों की हालत खराब होती जा रही है। बीएयू ने बीते नौ महीने पहले हेड साइंटिस्ट और साइंटिस्ट की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी की थी, लेकिन अब तक उसका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है और न ही नियुक्ति की जा सकी है। नियमों के अनुसार, प्रत्येक केवीके में कम से कम एक साइंटिस्ट और विषय वस्तु विशेषज्ञ के पद सृजित हैं, लेकिन 160 साइंटिस्ट की जगह केवल 50 साइंटिस्ट एवं एसएमएस से काम चलाया जा रहा है।

तत्कालीन सीएस ने दिया था निर्देश

बीएयू की हालत सुधारने के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने बीएयू सभागार में 10 सितंबर 2017 को एक हाई प्रोफाइल बैठक की थी, जिसमें बीएयू के तत्कालीन वीसी डॉ नितिन मदन कुलकर्णी सहित कई पदाधिकारी शामिल थे। उक्त बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिया था कि बीएयू की विभिन्न ब्रांचों को सशक्त बनाने एवं ज्यादा से ज्यादा छात्रों को कृषि, पशुपालन के डिग्री कोर्सो की शुरुआत करने सहित विभिन्न स्तरों पर प्रकाशित वैकेंसी के अनुरूप नियुक्तियां सुनिश्चित की जाएं। विभाग की ओर से आनन-फानन में वैंकेंसी निकाली गई और इन्टरव्यू की प्रक्रिया भी हुई, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है।

12 अगस्त को निकाली थी वैकेंसी

तत्कालीन मुख्य सचिव के निर्देश के बाद बीएयू ने 13 सीनियर साइंटिस्ट हेड के लिए और 30 साइंटिस्ट के लिए संविदा आधारित निविदा 12 अगस्त 2017 को प्रकाशित की थी। सितंबर महीने में इंटरव्यू भी लिया गया लेकिन नौ महीने बीत जाने के बाद भी नियुक्ति नहीं हो सकी, जबकि मुख्यमंत्री के हाथों 22 सितंबर को ही नियुक्ति पत्र बांटे जाने थे।

वर्जन

नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी अप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट पटना की ओर से भेजे गए पत्र के कारण नियुक्तियां नहीं हो सकीं। उन्होंने सवाल किया था कि संविदा पर होने वाली नियुक्तियों का वेतन क्या सरकार देगी? इस मामले में प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।

-डॉ परविंदर कौशल, वीसी, बीएयू

Posted By: Inextlive