- पटना में बढ़ते जा रहे हैं एससी एसटी एक्ट के मामले

- थाने का भी वही हाल, नहीं है कोई व्यवस्था

- दिसम्बर महीने में सिर्फ तीन को ही मिल सका मुआवजा

- पटना के थानों में एक साल में 337 मामले हुए दर्ज

- मांझी के राज में बढ़ते गए मामले, थाना स्तर पर नहीं भेजे जाते मुआवजे का प्रस्ताव

PATNA : बात दलितों की होती है, कम से कम अभी इसी पर राजनीति भी हो रही है। हर कोई दलितों के न्याय की बात कर रहा है। मगर सच्चाई कुछ और ही बयान कर रही है। सिर्फ बातों से दर्द नहीं मिटता, न्याय होना चाहिए। पटना में एक ओर जहां दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं वहीं उन्हें मुआवजा के नाम पर सिर्फ आश्वासनों की घूंटी ही पिलाई जा रही है। दिसम्बर में दलितों को मुआवजा के मामले में पटना फिसड्डी रहा है और सिर्फ तीन मामलों को ही मुआवजे के लिए भेजा गया है। यही नहीं पटना में पिछले साल एससी-एसटी एक्ट के अ‌र्न्तगत क्ख् महीने में फ्फ्7 मामले दर्ज हुए हैं। खास बात यह कि पिछले आठ महीने में यह बढ़ता ही गया है।

मुआवजे को मोहताज

एससी एसटी एक्ट के तहत आने वाले वाले मामले में मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन इसे लेने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है यह पीडि़त ही समझते हैं। थाना लेवल पर ही भेजने में देर की जाती है। इस संबंध में डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर ऑफिसर पवन कुमार मिश्र का कहना है कि जो भी मामले आते हैं उसे मीटिंग में भेज दिया जाता है। हर तीन महीने में इसकी मीटिंग की जाती है। दिसम्बर में ही मीटिंग हुई थी। पवन ने बताया कि थाना लेवल पर लेट होने के मामले में कई बार सीनियर एसपी को भी लेटर भेजा गया है।

तीन ही मामलों में मुआवजा

पिछली मीटिंग में फ्0 केसेज आये थे, जिसमें तीन मामलों में मुआवजा देना तय हुआ। इसमें एक हत्या और दो रेप के केस थे। बिहटा थाना एरिया के नेऊरी गांव में ख्क् जुलाई क्ब् को सुबोध कुमार की हत्या हुई थी। इस मामले में पांच लाख का मुआवजा दिया गया। साथ ही बिहाटा थाना एरिया में ही 9 जुलाई क्ख् को रेप के एक मामले में और औरंगपुर में क्ब् सितम्बर क्0 को हुए रेप कांड में मुआवजा दिया गया है। डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर ऑफिसर ने बताया कि रेप के मामलों में एफआईआर, मेडिकल रिपोर्ट और ट्रायल के दौरान मुआवजे का 7भ् परसेंट पेमेंट का नियम है वहीं कंफिक्शन हो जाने पर बाकी के ख्भ् परसेंट रकम भी दे दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस सब की जानकारी के लिए कई तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए गए हैं। हत्या और रेप दोनों की मामले में भ् लाख के मुआवजे का प्रावधान है। यही नहीं एससी एसटी एक्ट के तहत गाली गलौज, मारपीट, गलत नजर से देखने के मामले में भी मुआवजे का प्रावधान है।

बढ़ते गए मामले

पिछले साल अनुसूचित जाति और जनजाति पर दर्ज मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। हर महीने करीब एक मामले दर्ज हुए। दिसम्बर में जहां फ्म् मामले दर्ज किए गए वहीं जून में फ्फ् केस पटना जिले में दर्ज हुए। सबसे अधिक एससी-एसटी एक्ट के तहत अक्टूबर महीने में फ्8 मामले सामने आए हैं।

थानों का हाल छिपा नहीं

एससी एसटी थानों का हाल किसी से छिपा नहीं है। वैसे इसकी पोल पिछले दिनों आईजी पटना एके अम्बेदकर की उस मीटिंग में भी खुल गई जिसमें थानेदारों ने कई तरह की प्राब्लम बताई। थानाध्यक्ष ने बताया कि भवन तो अपना है नहीं साथ ही सरकारी मोबाइल भी नहीं। यही नहीं संसाधन का अभाव तो है ही पुलिस बल की भी भारी कमी है। पटना जोन के कई थानों में कैदी हाजत और शौचालय तक नहीं है।

गया में सबसे अधिक पेंडिंग

एससी एसटी थानों में पेंडिंग केसेज की लाइन लगी है, लेकिन सबसे अधिक केस गया में ही पेंडिंग है। आईजी पटना एके अम्बेदकर की मीटिंग में यह खुलासा हुआ कि दिसम्बर महीने में वहां म्7 मामले पेंडिंग थे। इसमें फ्भ् मामले सिर्फ सुपरविजन के पेंडिंग हैं। दूसरे नम्बर पर रोहतास है जहां भ्0 मामले पेंडिंग हैं।

थानों की स्थिति सुधारने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। लोगों को परेशानी न हो, न्याय मिले इसके लिए कई निर्देश दिए गए हैं। पेंडिंग केसेज को जल्द निपटाने का आदेश दिया गया है।

- एके अम्बेदकर, आईजी पटना

थाना लेवल पर मुआवजे के लिए रिपोर्ट देर से भेजी जाती है। कई बार लेटर भेजा गया, लेकिन सुधार नहीं हुआ है। दिसम्बर में एक मर्डर और दो रेप की घटना में मुआवजा दिया गया।

- पवन कुमार मिश्र, डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर ऑफिसर, पटना

Posted By: Inextlive