सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत सरकार लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होकर माल का नुकसान करने वाले आरोपियों के पोस्टर रोड किनारे लगा सके।

नई दिल्ली (पीटीआई) जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश कालीन खंडपीठ ने सीएए के खिलाफ दंगा करके संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वाले आरोपियों के पोस्टर लगाने को गैर कानूनी बताया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से साॅलीसीटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए।

दंगाइयों को जरूर दिया जाए दंड

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों के खिलाफ बेशक कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें दंडित भी किया जाना चाहिए लेकिन राज्य सरकार के पास पोस्टर लगाने की शक्ति किस कानून के तहत है? यह सवाल खंडपीठ ने तुषार मेहता से पूछा।

पोस्टर में भरपाई की बात का जिक्र

मेहता ने कोर्ट में कहा कि ये पोस्टर उन लोगों को डराने के लिए लगाए गए हैं जिन्होंने दंगों के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। पोस्टर में सिर्फ यही कहा गया है कि इन लोगों को अपने किए की भरपाई करनी है। मामले की सुनवाई चल रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार की एक अपील पर सुनवाई कर रही है जिसमें उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने 9 मार्च के अपने आदेश में राज्य सरकार उन पोस्टरों को हटाने के निर्देश दिए थे, जिनमें सीएए के खिलाफ भड़के दंगे के दौरान संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वालों के बारे में छपा है।

16 मार्च तक सरकार को देनी है रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि सोमवार को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने लोकभवन में हाईकोर्ट के आदेश से उपजे हालात पर अफसरों के साथ बैठक कर चर्चा की थी। बैठक में मुख्य रूप से लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश, पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय और न्याय विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।

57 आरोपियों के फोटोयुक्त बैनर-पोस्टर

हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के फोटो लगे बैनर व होर्डिंग को सार्वजनिक स्थलों से हटाने का आदेश देते हुए 16 मार्च को जिलाधिकारी लखनऊ व महानिबंधक से अनुपालन रिपोर्ट तलब की है। सीएम योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से लखनऊ आने के बाद राज्य सकरार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। राज्य सरकार के पास हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करने के लिए अभी 5 दिनों का वक्त है। लखनऊ में 57 आरोपियों के फोटोयुक्त बैनर-होर्डिंग सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh