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JAMSHEDPUR: कोल्हान के सबसे बड़े गर्वमेंट हॉस्पिटल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही की वजह से कैंपस में बायेमेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है। जानलेवा बीमारियां फैलाने वाले बायो मेडिकल वेस्ट से अनजान बच्चे इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। जैसे ही हॉस्पिटल के खुले कैंपस में बायो मेडिकल वेस्ट फेका जाता है, वे टूट पड़ते हैं। पूछने पर बच्चों ने बताया कि उनके लिए यूरिन पाइप बहुत महत्वपूर्ण है। क्क् वर्षीय चंदन कुमार ने बाताया कि यूरिन पाइन से वह गुलेल बनाता है और पक्षियों का शिकार करता है। इसके अलावा वह कांच, टीन, लोहा भी चुनता है। इनकेमां-पिता भी इसी तरह से काम कर बड़ी मुश्किल से दो जून की रोटी जुटा पाते हैं।

टूटी हुई है बाउंड्री

एमजीएम हॉस्पिटल कैंपस के चारदीवारी टूटे होने के कारण शरारती तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि, इसके लिए गार्डो की तैनाती की गई है, फिर भी वे बाज नहीं आते। इसी रास्ते से हॉस्पिटल कैंपस में घुसते हैं। रास्ते पर न तो कोई गार्ड तैनात रहता है और न ही स्टाफ। इस वजह से ये बच्चे हॉस्पिटल कैंपस में बेधड़क घुस आते हैं।

पांच साल से इंसीनरेटर खराब

एमजीएम हॉस्पिटल का बीते पांच वर्षो से इंसीनेटर मशीन खराब है। इस वजह से बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नहीं हो रहा है। नतीजा हॉस्पिटल कैंपस में ही पेशेंट्स को इस्तेमाल कर बायो मेडिकल वेस्टेज को फेंक दिया जाता है। इनमें यूरिन पाइप, ब्लड के डिस्चार्ज पैकेट, रूई, कॉटन, निडिल सरिंज सहित अन्य जानलेवा इंफेक्शन फैलाने वाली बायो मेडिकल वेस्ट शामिल होते हैं।

पांच साल तक की जेल

बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में लापरवाही बरतने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। एंवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट-क्98म् के तहत आरोपियों पर पांच साल तक का कैद और एक लाख रुपए फाइन या फिर दोनों सजा एक साथ देने का प्रावधान है।

बायो मेडिकल वेस्ट से नुकसान

-वेक्टर्स (मक्खी, मच्छर सहित अन्य कीड़े मकोड़े) के जरिए हॉस्पिटल आने वाले तथा आस-पास के लोगों में गंभीर इंफेक्शन वाली बीमारी फैलने का खतरा रहता है।

-संक्रमित बीमारियों वाले पेशेंट के इस्तेमाल में लायी गयी निडिल, ब्लेड से इंज्यूरी होने तथा उसके संपर्क में आने से जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है।

-हाइोडर्मिक निडिल्स, ट्यूब्स, ब्लेड बॉल्टस जैसी वस्तुओं से जानलेवा इंफेक्शन का खतरा।

-डिस्कार्डेड मेडिसिन्स के इस्तेमाल से रिएक्शन का खतरा।

-कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स के संपर्क में आना भी जान के लिए घातक होता है।

हॉस्पिटल टूटी होने की वजह से कुछ लोग हॉस्पिटल कैंपस में घुस जाते हैं। बाउंड्री की मरम्मत के लिए डिपार्टमेंट को पत्र लिखा गया है। इंसीनरेटर के लिए फंड आया है। इसके लिए भी टेंडर निकाला गया है। जल्द ही इस समस्या से निजात पा लिया जाएगा।

-डॉ विजय शंकर दास, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल।

Posted By: Inextlive