RANCHI : राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में एकबार फिर व्यवस्था बेपटरी हो गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। इस वजह से उनके पास प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के अलावा और कोई चारा नहीं है। इससे परिजनों की जेब भी ढीली हो रही है। इसके बावजूद हॉस्पिटल में तीन महीने से दवा की रेगुलर सप्लाई नहीं हो रही है। बताते चलें कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रेग्नेंट महिलाओं की जांच से लेकर इलाज तक सबकुछ फ्री है। इस मामले में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

नई गाइडलाइन के बाद से परेशानी

हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को सभी दवाएं फ्री में उपलब्ध कराई जाती थीं। जांच से लेकर तमाम सुविधाओं के लिए भी कोई चार्ज नहीं देना पड़ता था। वहीं मरीज को जितनी दवा की जरूरत पड़ती थी स्टोर से उपलब्ध करा दिया जाता था। लेकिन जेएसएसके के तहत नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसमें नार्मल डिलीवरी के लिए 350 रुपए की दवा, सीजेरियन के लिए 1600 रुपए की दवा देने का निर्देश है। इसके बाद से ही हॉस्पिटल में दवा की रेगुलर सप्लाई नहीं हो रही है, जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं।

गायनी में भी दवाएं नहीं

लेबर रूम के अलावा गायनी वार्ड में दर्जनों महिलाओं का इलाज चल रहा है। ऐसे में उन्हें भी दवा की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कुछ दवाएं तो उन्हें रिम्स से मिल रही हैं। लेकिन बाकी की दवाएं वे बाहर से खरीदकर इलाज करा रहे हैं।

केस-1

डिलीवरी के बाद बाहर से ला रहे दवा

झालदा के रहने वाले राजू कुमार अपनी प्रेग्नेंट पत्नी को लेकर रिम्स आए। जहां उनकी पत्नी की डिलीवरी हो गई। लेकिन उन्हें इलाज के लिए बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टर या नर्स पर्ची में दवा का नाम लिखकर देते हैं। इसके बाद हम बाहर से दवा खरीदकर ले आते हैं।

केस-2

1600 रुपए की खरीद चुके हैं दवा

फनींदर कुमार यादव ने अपनी मां का आपरेशन रिम्स में कराया है। पेट में घाव हो गया था। इसके बाद से वे 1600 रुपए की दवा खरीद चुके हैं। उन्होंने बताया कि दवा लाने के लिए कहा जाता है। अब इलाज कराना है तो दवा तो लाना ही पड़ेगा।

Posted By: Inextlive