- मुख्यधारा में शामिल हुए तीनों नक्सल प्रभावित जिले

- यूपी पुलिस की बड़ी सफलता, केंद्र को भेजा प्रस्ताव

- कई सालों से नहीं हुई कोई भी नक्सल गतिविधि

LUCKNOW: यूपी पुलिस ने सूबे को नक्सल मुक्त करने की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश के तीन नक्सल प्रभावित जिले मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली नक्सल मुक्त हो चुके हैं। इन्हें अब नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार न किए जाने का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। यह कदम तीनों जिलों में पिछले कई सालों से चल रही एंटी नक्सल गतिविधियों की सफलता के बाद उठाया गया है। इसकी असल वजह पिछले कई सालों से यूपी में कोई नक्सल गतिविधि न होना है।

नहीं मिलेगा केंद्रीय योजनाओं का लाभ

नक्सल मुक्त होने की सूरत में यूपी को उन केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो जाएगा जो अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में लागू है। नक्सल प्रभावित इलाकों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए इसके जरिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही थी। हालांकि पहले से चल रही योजनाओं पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मालूम हो कि नक्सल प्रभावित तीनों जिलों में विशेष डिजायन (अष्टकोणीयय) के 46 थाना भवनों, हैलीपैड आदि का निर्माण जारी है। इसके अलावा सुरक्षा बलों और क्षेत्रीय नागरिकों की सुविधा के लिए 78 मोबाइल टॉवर लगाये जा रहे है। साथ ही बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की योजनाएं भी चल रही है।

यूपी से नक्सलियों का सफाया

प्रदेश पुलिस ने नक्सल प्रभावित जिलों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर बड़े नक्सली नेताओं पर शिकंजा कसा, नतीजतन सूबे में पिछले कई सालों से कोई भी नक्सल गतिविधि अंजाम नहीं दी जा सकी। वर्ष 2012 में सोनभद्र के चोपन में स्थानीय पुलिस ने मुठभेड़ के बाद तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली नेता मुन्ना विश्वकर्मा और पचास हजार के इनामी अजीत कोल को गिरफ्तार किया था। साथ ही एक लाख के इनामी लालव्रत कोल को गिरफ्तार कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी। लालव्रत सुरक्षा बलों के कैंप पर हमले का आरोपी था और कई राज्यों की पुलिस उसे लंबे समय से तलाश रही थी।

2004 में आखिरी बड़ी वारदात

नक्सल प्रभावित चंदौली के नौगढ़ थानाक्षेत्र के हिनौत गांव में विगत 20 नवंबर 2004 को जिलेटिन की छड़ों की मदद से ही नक्सलियों ने जंगल में कॉम्बिंग करने जा रही जवानों से भरी पीएसी की ट्रक उड़ा दी थी। इस घटना में 16 जवान शहीद हुए थे। ये अब तक की यूपी की सबसे बड़ी नक्सली घटना थी। इस घटना के बाद से पुलिस ने व्यापक अभियान चलाकर कई नक्सलियों का सफाया किया। इसके बाद नक्सली यूपी को केवल अपनी पनाहगाह बनाते रहे, कभी यहां कोई वारदात करने से बचते रहे।

बलिया का भी भेजा गया था प्रस्ताव

बढ़ती नक्सल गतिविधियों को देखते हुए दो साल पहले प्रदेश पुलिस ने बलिया को नक्सल प्रभावित जिला घोषित करने का अनुरोध किया था। इसे यूपी पुलिस की सफलता ही माना जाएगा कि इसके बाद बलिया में बरती गयी सख्ती की बदौलत कोई नक्सल गतिविधि सामने नहीं आई। यही वजह रही कि बलिया को नक्सल प्रभावित जिला घोषित नहीं किया गया।

लेकिन खाद-पानी तो मिल रहा

यूपी पुलिस भले ही सूबे से नक्सलियों का पूरी तरह सफाया होने का दावा कर रही हो लेकिन यहां से उन्हें खाद-पानी (असलहा और विस्फोटक) लगातार मुहैया हो रहा है। दो साल पहले यूपी एटीएस ने नकली पिस्टल बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया तो पता चला कि उसके सरगना के नक्सलियों से गहरे संबंध हैं। वह उन्हें कई सालों से असलहे और कारतूस सप्लाई कर रहा है। इसके अलावा तीनों जिलों में होने वाली खनन गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक की बड़ी सप्लाई नक्सलियों को की जा रही है। हाल ही में कानपुर में इसकी बड़ी खेप भी पकड़ी गयी जो नक्सलियों को भेजी जा रही थी। इतना ही नहीं, लखनऊ से लेकर नोएडा तक नक्सली नेताओं द्वारा पनाह भी ली जाती रही है। सियासी गलियारों में भी उनकी पैठ के चर्चे अक्सर होते रहे है। चुनाव के दौरान पूर्वाचल के कुछ जिलों में नक्सलियों का प्रभाव देखा जाता रहा है। हाल ही में मथुरा के जवाहरबाग कांड में भी नक्सलियों के शामिल होने की चर्चा रही।

यूपी को नक्सल मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। प्रदेश के तीनों नक्सल प्रभावित जिले अब इस दंश से मुक्त हो चुके हैं। डकैतों के बाद नक्सलियों का सफाया पुलिस की बड़ी सफलता है।

- दलजीत सिंह चौधरी

एडीजी कानून-व्यवस्था

Posted By: Inextlive