केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को बताया कि सरकार की चीनी का बफर स्टॉक बनाने की फिल्हाल कोई योजना नहीं है.


जैसा की सुनने में आ रहा था कि सरकार गन्ना उत्पादक किसानों के करीब 21,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करने में चीनी मिलों की मदद के लिए 20 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बना सकती है. इस बात का खंडन करते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को मीडिया के सामने स्पष्ट किया कि चीनी मिलों की ऐसी किसी मांग पर सरकार विचार नहीं कर रही है. पासवान ने गन्ना किसानों के बकाये को जटिल मुद्दा बताते हुए कहा कि बकाये का भुगतान करना चीनी मिलों की जिम्मेदारी है.  


खाद्य मंत्री ने बताया कि गन्ने का बकाया 21,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. जिसमें केंद्र की कोई ज्यादा भूमिका नहीं है. सरकार गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य FRP तय करती है. अब अगर चीनी मिलें किसानों को भुगतान नहीं करती हैं तो राज्यों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है.

नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. जिसके तहत चीनी आयात शुल्क बढ़ाकर 40 फीसदी किया गया, 14 लाख टन कच्ची चीनी निर्यात के लिए 4,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी देने और एथेनॉल सम्मिश्रण को प्रोत्साहन देने सहित कई उपाय किए हैं. इस बारे में बात करते हुए पासवान ने कहा कि अब चीनी मिलों की बफर स्टॉक का निर्माण करने की जो मांग आ रही है, उस पर फिल्हाल कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है. हालाकि इस मुद्दे को उठाते हुए पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने भी इस संदर्भ में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.

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Posted By: Molly Seth