-खेल का मैदान लगातार सिमटता गया-स्टेडियम और स्पो‌र्ट्स कॉम्पलेक्स की है कमी

-खेल नियमों की खुलेआम उड़ रहीं धज्जियां, स्टेडियम का मेनटेनेंस फुस्स

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PATNA: मास्टर प्लान के बाद पटना शहर का आकार भले ही बड़ा हो गया हो, पर इसमें खेल के मैदान या तो खत्म हो गए या उसका एरिया सिमट गया है। जहां स्टेटभर के प्लेयर्स को खेलने की जगह मिल नहीं पाती है, तो दूसरी ओर जो खेलने के लिए स्थान था वहां डेवलपमेंट के नाम पर कंक्रीट का जाल बिछ गया है। यही वजह है कि यहां के प्लेयर्स को बडे़ कॉम्पटीशन की तैयारी के लिए कोई माकूल जगह नहीं मिल पाती है। बात सिर्फ यहीं तक नहीं है। आज के समय में खेल के लिए स्टेडियम को भी पुलिस बहाली, प्रवचन, राजनीतिक रैली आदि के लिए जमकर यूज किया जा रहा है। इस कारण स्टेडियम का मेनटेनेंस तो राम-भरोसे ही है।

कहां-कहां था खेल का ग्राउंड

शहर भर में कई जगह खेल के ग्राउंड थे, कम से कम ख्भ् साल पहले तक। लेकिन आज की तारीख में इन जगहों पर या तो कंस्ट्रक्शन हो गया है या उसे अन्य उद्देश्य से यूज किया जा रहा है। जानकारी हो कि संजय गांधी जैविक उद्यान से लेकर केन्द्रीय विद्यालय नं.-ख् तक का पूरा एरिया एक खेल का ग्राउंड था। यहां कई खेलों के प्लेयर्स खेलने के लिए हर रोज आते थे, लेकिन अब यहां एक तरफ संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना गोल्फ क्लब और इसके बाद केन्द्रीय विद्यालय नंबर-ख् का एरिया शुरू हो जाता है। इसी प्रकार शहर के कई इलाकों में खुले ग्राउंड हुआ करते थे, जहां अब या तो अपार्टमेंट बन गए हैं या वह इंस्टीट्यूशनल एरिया में तब्दील हो चुका है।

खो-खो ग्राउंड खेलने लायक नहीं

मोइनुलहक स्टेडियम में चंद्रगुप्त जल विहार से सटे खो-खो ग्राउंड में मेनटेनेंस की अनदेखी के कारण ग्राउंड बर्बाद हो चुका है। यहां बारिश के दिनों में बड़ी संख्या में भैंसें कीचड़ स्नान के लिए आते हैं। इसके अलावा चंद्रगुप्त जल विहार के पांड से पानी रिश्ता हुआ इस ग्राउंड पर फैल जाता है। यहां सिक्योरिटी की कोई चाक-चौबंद व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि इस ग्राउंड का यह हाल हो गया है।

ऐसा एथलेटिक्स ट्रेनिंग किस काम का?

जी हां, फ्0 नवंबर से मोइनुलहक स्टेडियम में बिहार राज्य महिला एथलेटिक्स का एक हफ्ते का ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया गया है। इसके लिए सभी एथलीट्स के ठहरने और खाने-पीने की उचित व्यवस्था की गयी है, लेकिन ट्रेनिंग के लिए स्पेश नहीं है। कारण है स्टेडियम को पुलिस बहाली के लिए दे दिया गया है। इसके कारण स्पेस नहीं होने के कारण इस ट्रेंनिंग कैंप का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इस बात से यहां विभिन्न जिलों से आयी एथलीट्सं ने यहां की व्यवस्था को कोसा और कहा कि इस जगह नहीं आते तो अच्छा होता। जब ट्रेनिंग ही नहीं तो फिर यह किस काम का।

ढंग का बैडमिंटन कोर्ट भी नहीं

यह ताज्जुब की बात है कि यहां क्म् दिसंबर से जूनियर नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप का आयोजन किया जाएगा, पर इस कॉम्पटीशन के लिए माकूल ग्राउंड सेलेक्शन में सिर पर बल पड़ गया। वास्तव में इसके लिए फिजिकल स्कूल में तैयार किया गया बैडमिंटन कोर्ट होना चाहिए था, लेकिन इसकी हालत देखने के बाद आयोजकों को बड़ी निराशा हुई। यह सालों से बंद पड़ा है और देखरेख के अभाव में जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। इस कारण ही कॉम्पटीशन के लिए सचिवालय स्थित बैडमिंटन कोर्ट का जगह तय किया गया।

टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट को लिखा

बिहार बैडमिंटन एसोसिएशन के सेक्रेटरी केएन जायसवाल ने बताया कि यहां स्टेट ऑफ द आर्ट बैडमिंटन कोर्ट बनाने के लिए टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट को लिखा गया है। इसके लिए जगह का चयन कर इस पर काम शुरू करने की बात कही गयी है। एक बार एक डेडिकेटेड कोर्ट बन जाए, तो यहां इस खेल का विकास होगा।

Posted By: Inextlive