नेपाल के क्षेत्रीय दावे को खारिज करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि लिपुलेख-धारचुला रोड भारत में है। मोदी सरकार ने पड़ोसी देश को इस गलतफहमी को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए संकेत दे दिए हैं।

नई दिल्ली (पीटीआई)। रक्षा मंत्री दोनों देशों के सदियों पुराने संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि हमारे संबंध सिर्फ सामाजिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ही नहीं आध्यात्मिक तौर पर भी हम एक हैं। भारत इस वास्तविकता को कभी नहीं भूल सकता और भारतीयों में नेपाल को लेकर कोई कड़ुवाहट नहीं है। हमारे संबंध सिर्फ इस दुनिया के नहीं बल्कि 'दूसरी दुनिया' के भी हैं। इन संबंधों को कोई चाहे तो भी खत्म नहीं कर सकता। राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड की एक वर्चुअल रैली में ये बातें कहीं। इसी सीमावर्ती राज्य में सड़क का निर्माण हुआ था।

नेपाल के साथ रोटी और बेटी के संबंध

राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच कोई साधारण संबंध नहीं है। यह संबंध रोटी और बेटी का संबंध है। दोनों देशों के लोगों में राेजगार और शादी-ब्याह के संबंध हैं। दुनिया की कोई ताकत इन्हें अलग नहीं कर सकती। 8 मई को उत्तराखंड से लगे धारचुला में लिपुलेख दर्रे से 80 किलोमीटर लंबी एक सड़क का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया था। नेपाल की संसद ने शनिवार को एकमत से अपडेटेड नये नक्शे को पारित कर दिया था। नेपाल के इस नक्शे में लिपुलेख सहित कई महत्वपूर्ण भारतीय क्षेत्रों को दिखाया गया है।

सड़क से कोई गलतफहमी पैदा हुई है तो बातचीत करके सुलझाएंगे

राजनाथ सिंह ने कहा कि लिपुलेख-धारचुला सड़क से नेपाल के लोगों में कोई गलतफहमी पैदा हुई है तो उसे हम बातचीत से सुलझा लेंगे। दोनों देश ऐसा करने में सक्षम हैं। हालांकि रक्षा मंत्री ने 80 किलोमीटर लंबी सड़क को लेकर भारत के रुख का समर्थन किया और कहा कि यह भारतीय क्षेत्र में आता है। इस सड़क से कैलाश मानसरोवर यात्रियों की यात्रा आसान और छह दिन छोटी हो जाएगी। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह सड़क नेपाल के क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने उसके दावे को खारिज करते हुए कहा था कि सड़क पूरी तरह से भारतीय सीमा में है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh