क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : रांची समेत पूरे झारखंड में बिजली संकट गहरा सकता है. पतरातू थर्मल पावर स्टेशन की तीन इकाइयों से बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है. तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड टीवीएनएल की एक यूनिट से जहां उत्पादन ठप है जबकि दूसरी यूनिट का मेंटनेंस वर्क चल रहा है. वहीं सिकिदरी हाइडल पावर स्टेशन का शटर डाउन है. फिलहाल सेंट्रल पूल से मिल रही बिजली से झारखंड की 'बत्ती' जल रही है. हालांकि यह जरूरत के हिसाब से काफी कम है जिस कारण लोड शेडिंग के मार्फत पावर सप्लाई की जा रही है.


बिजली की खपत
जीरो पावर कट महज सपना अलग राज्य बनने के बाद से झारखंड में बिजली की खपत लगातार बढ़ती गई, लेकिन उस हिसाब से यहां उत्पादन नहीं बढ़ सका है। फिलहाल, राज्य को 2100 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन किसी तरह 1800 मेगावाट बिजली की जरूरत पूरी हो पा रही है। इस कारण यहां जीरो पावर कट महज सपना बनकर रह गया है। शहरी इलाकों में 18 से 20 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है। राज्य के अपने पावर प्लांट में से सिर्फ टीवीएनएल के एक यूनिट से 190 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। दोगुने हुए कंज्यूमर, नहीं बढ़ा रेवेन्यू 2010 में राज्य में 14 लाख बिजली के कंज्यूमर थे, जो 2016 में बढ़ कर 26 लाख हो गए। उस दौरान जहां 82 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हर माह होती थी और सरकार को राजस्व 125 करोड़ मिलता था व खर्च 260 करोड़ रुपयेथा। अब प्रतिमाह 97 करोड़ यूनिट की खपत होती है, पर राजस्व 220 करोड़ ही प्राप्त होता है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड 370 करोड़ रुपये की बिजली प्रतिमाह खरीदता है। निगम का अपना स्थापना व्यय 35 करोड़ के करीब है, यानी निगम को हर माह 185 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।पावर प्लांट लगाए


पावर प्लांटों का कुछ ऐसा है हाल झारखंड में दो निजी कंपनियों ने भी पावर प्लांट लगाए हैं। इनमें इनलैंड पावर की 55 मेगावाट व आधुनिक पावर की122 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। - सरकार ने एनटीपीसी के हाथों पीटीपीएस का संचालन सौंप दिया है, एनटीपीसी यहां चार हजार मेगावाट का पावर प्लांट लगा रही है। इतना ही नहीं, पीटीपीएस के वर्तमान प्लांट से भी 325 मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ाया जाएगा। टीवीएनएल की भी क्षमता 380 मेगावाट बिजली उत्पादन की है। लेकिन, यहां एक यूनिट अक्सर बैठी रहती है, जिस कारण कैपासिटी से कम उत्पादन होता है। सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट की कैपासिटी 120 मेगावाट की है, लेकिन सिर्फ बरसात के मौसम में ही यहां बिजली उत्पादन हो पाता है। लाइन में गड़बड़ी, बर्बाद हो जाती बिजली बिजली संकट की बड़ी वजह संचरण की कमजोर स्थिति का होना भी है। टीवीएनएल से जो बिजली उत्पादन होता है उसकी एक लाईन हटिया ग्रीड से जुड़ी है, जबकि दूसरी लाईन बिहार शरीफ ग्रीड से जुड़ी है,ऐसे में चाहकर भी टीवीएनएल अपनी पूरी बिजली उत्पादन होने की स्थिति में भी झारखंड को मिल पाता है।

Posted By: Inextlive