- मंत्री और प्रमुख सचिव ने दिया अप्रैल में मांगे पूरी करने का आश्वासन

- समान कार्य के लिए समान वेतन मांग रहे हैं रेजीडेंट्स

- सातवें वेतन आयोग और एसजीपीजीआई के बराबर वेतन, भत्ते की है मांग

LUCKNOW : केजीएमयू में मंगलवार को रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल नहीं होगी। रेजीडेंट डॉक्टरों ने देर रात चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन और प्रमुख सचिव डॉ। रजनीश दुबे से वार्ता के बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी। गौरतलब है कि केजीएमयू के करीब 750 रेजीडेंट डॉक्टर पीजीआई के बराबर वेतनमान और सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांगें पूरा न होने के कारण हड़ताल की घोषणा की थी।

अब हमारा गुस्सा देखिए

बता दें कि केजीएमयू में टीचर्स और कर्मचारियों सातवें वेतन आयोग और एसजीपीजीआई के बराबर वेतन व भत्तों की सुविधा दे दी गई है, लेकिन रेजीडेंट डॉक्टरों को अब तक ये सुविधाएं नहीं दी गई हैं। जिसके कारण ये रेजीडेंट डॉक्टर आंदोलित हैं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को केजीएमयू प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए मांगे पूरी न होने पर हड़ताल की घोषणा की थी। साथ ही पूरे कैंपस में पोस्टर लगाए जिसमें लिखा कि अब तक आपने हमारी सहनशक्ति देखी है, अब गुस्सा देखिए। रेजीडेंट्स ने सोमवार को काला फीता बांधकर काम किया और मंगलवार को इमरजेंसी छोड़ अन्य कार्यो का बहिष्कार का निर्णय लिया था। लेकिन मंत्री से वार्ता के बाद जिसे देर रात वापस ले लिया। हड़ताल होती तो इसका असर केजीएमयू में हर रोज होने वाले करीब 200 से अधिक ऑपरेशन और ओपीडी पर पड़ता।

11 को तय करेंगे आगे की रणनीति

रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ। आदित्य यादव, वाइस प्रेसीडेंट डॉ। गणेश यादव, हिमांशु कुमार, राणा प्रताप और जनरल सेक्रेटरी डॉ। नीरज कुमार मिश्रा ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से देर रात मुलाकात की। इस दौरान प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ। रजनीश दुबे और केजीएमयू के सीएमएस डॉ एसएन शंखवार और एमएस डॉ। विजय कुमार भी साथ मौजूद रहे। मंत्री और प्रमुख सचिव ने कहा कि इसी माह रेजीडेंट्स की मांगू पूरी कर दी जाएंगी। डॉ। गणेश ने बताया कि मंत्री और प्रमुख सचिव के आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली गई है। 11 अप्रैल को दोबारा प्रमुख सचिव के साथ मीटिंग होगी। उसके बाद आरडीए आगे की रणनीति तय करेगी।

सूत्रों के अनुसार आशुतोष टंडन ने प्रमुख सचिव को फटकार लगाई और कहाकि दर्जन भर से ज्यादा बार ये रेजीडेंट मिल चुके हैं और पत्र भेज चुके हैं। फिर भी इनकी मांगे पूरी क्यों नहीं की गई। जल्द से जल्दी इनकी मांगों पर निर्णय ले। जिसके बाद ही रेजीडेंट हड़ताल वापस लेने के लिए मान गए।

क्या लिखा वीसी को भेजा पत्र में

- रेजीडेंट्स को पिछले 18 महीने से लगातार टरकाया जा रहा है

- जब फरवरी 2015 में ही टीचिंग फैकल्टी और नॉन टीचिंग स्टाफ को पीजीआई के बराबर वेतन और एलाउंसेज मिल चुके तो हमें क्यों नहीं।

- दिल्ली सरकार सहित अन्य राज्यों और लखनऊ के ही डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में भी सातवें वेतन आयोग की सुविधा रेजीडेंट डाक्टर्स को मिली है।

पूर्व और वर्तमान सीएम से भी लगा चुके हैं गुहार

केजीएमयू के रेजीडेंट इसको लेकर पूर्व वीसी प्रो। रविकांत और पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी मिले थे। इसके बाद वर्तमान वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट और वर्तमान चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ से भी मिले और अपनी समस्याओं से अवगत कराया। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से कई बार मुलाकात कर इसकी मांग की। लेकिन आश्वासन के अलावा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 17 मार्च को यूनिवर्सिटी प्रशासन से रेजीडेंट डॉक्टर्स ने तीसरी बार गुहार लगाई साथ ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री को भी पत्र लिखा। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

Posted By: Inextlive