Patna: नियम तो बन जाता है लेकिन उसका क्या? उसे इंप्लीमेंट कराने वाला भी तो हो. नहीं कराने वाले के पास हजार बहाने और जिन्होंने ठान लिया वो लागू करके ही दम लेते हैं. ट्रैफिक सिस्टम में व्हीकल्स की स्पीड को लेकर भी ऐसा ही कुछ है.

फर्राटा मारने लगती हैं गाडिय़ां
दानापुर कैंट एरिया में लिमिट स्पीड से व्हीकल्स चलते हैं और वहां से बाहर निकलते ही वही गाडिय़ां फर्राटा मारने लगती हैं। बोर्ड पर लिखा रहता है 20 तो गाडिय़ां दौड़ती हैं 60 के ऊपर। वहां एक्शन मतलब एक्शन और यहां ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पास स्टाफ्स की कमी से लेकर इंस्ट्रूमेंट तक के अभाव का रोना।
 
इससे नहीं है कोई लेना-देना
आपको पता है शहर में व्हीकल्स की स्पीड कितनी है। नहीं, तो जान लें। यहां 20 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड है। वार्निंग के तौर पर जगह-जगह इसके बोर्ड भी लगे हुए हैं। यानी इससे अधिक स्पीड से व्हीकल्स को चलाते हैं, तो आप पर फाइन किया जा सकता है। लेकिन, यहां बेफिक्र होकर ड्राइविंग करें, आपको कोई देखने वाला नहीं है। आपकी ड्राइविंग की जांच कोई नहीं करेगा।

टाइम ही नहीं है
ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पास टाइम नहीं है। लहरिया कट के नाम पर कभी धर-पकड़ कर लेते हैं, लेकिन स्पीड लिमिट के नाम पर तो आजतक एक रुपया भी फाइन में नहीं आया है। हां, फाइलों में जरूर यह है कि स्पीड क्रॉस करने वालों पर फाइन किया जाए। रिलेटेड ऑफिसर्स भी दबी जुबान से कहते हैं कि स्पीड क्रॉस मामले में सही मायने में अब तक कोई काम नहीं हो पाया है। ट्रैफिक पोस्ट पर ही जवानों की कमी हो जाती है, तो सारे नियम को कैसे फॉलो करें।

बढ़ते जा रहे हादसे
आए दिन बेली रोड, इनकम टैक्स, कोतवाली, एक्जीबिशन रोड पर सबसे अधिक रैस ड्राइविंग की जाती है। इसकी वजह से इन सड़कों पर सबसे अधिक एक्सीडेंट होते हैं। ट्रैफिक डीएसपी थ्री नरेश मोहन झा ने बताया कि फास्ट व रफ ड्राइविंग की वजह से बराबर एक्सीडेंट होते रहते हैं। इसे कंट्रोल करने के लिए लोगों को खुद अवेयर हेाना होगा। खासकर लहरिया कट वाले बाइकर्स पर तो एक्शन भी लिया जा रहा है। लेकिन, यह रुक नहीं रहा है।

ताक पर नियम
हर रोड पर व्हीकल की लिमिट स्पीड को पार कर रहे हैं लोग। खासकर यूथ बाइकर्स इस मामले में दो कदम आगे हैं। किसी को यह जानने की फुर्सत नहीं है कि वे स्पीड के रूल को फॉलो कर भी रहे हैं या नहीं। स्पीड को मेंटेन रखने के लिए बिजी व कंजेस्टेड रोड पर भी एक्सलेटर तेज किए रहते हैं। यानी उनके लिए सारे रूल-रेगुलेशन ताक पर है।

ठोकर लग जाए तो गम नहीं
स्पीड में गाड़ी चलाने वाले किसी को भी अपने से आगे नहीं निकलने देते हैं। इस वजह से कई बार ठोकते हुए वे आगे निकल जाते हैं। बाइकर सुमित राज की मानें तो बाइक स्लो चलाने में मजा नहीं आता है और यह स्पीड के लिए ही ली जाती है। यदि 20 किलोमीटर की रफ्तार से बाइक चलेगी तो जाम लगना तय है। डेली शहर में रफ ड्राइविंग के कारण एक्सीडेंट होते रहते हैं।

सिर्फ स्कूल बस पर नजर
डीएसपी नरेश मोहन झा ने बताया कि स्पीड लिमिट के लिए स्कूली बसों पर सबसे अधिक निगाह रखी जाती है। क्योंकि उसमें बच्चे सवार होते हैं। अक्सर स्पीड के कारण स्कूली बस दुर्घटना की शिकार होती रहती हैं। खासकर राजा बाजार एरिया में इस तरह की घटनाएं बराबर होती रहती हैं. 

स्पीडो मीटर तो आ गया, पर
रफ्तार मापने के लिए स्पीडो मीटर तो मंगवाया गया है। लेकिन अभी तक इसका यूज नहीं के बराबर किया गया है। इसकी वजह से स्पीड पर ब्रेक नहीं लग पाता है। सोर्सेज की मानें तो शुरुआती दौर में सिर्फ एक-दो बार ही स्पीडो मीटर का यूज किया गया है।

इन बाइकर्स को कौन संभाले
शहर में कुछ बाइकर्स की अपनी दुनिया है। जाम रहने के बाद भी कई बाइकर्स गैंग्स की ओर से चैलेंज किया जाता है। इनकी रफ ड्राइविंग की वजह से सामने वाले की जान सांसत में फंसी रहती है। ऐसे बाइकर्स गिरोह पर पुलिस की नजर तो है, पर अभी तक उस पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।

Posted By: Inextlive