RANCHI: होली के बाद भी सरकारी दफ्तरों में होलियाना मूड बना रहा। सरकारी बाबुओं की दफ्तर से अनुपस्थिति काम-काज को बुरी तरह प्रभावित करती रही। बुधवार को कई ऑफिस में बाबू नजर ही नहीं आए। जो नजर आए वे भी काम करने के मूड में नहीं दिखे। बाबुओं के दफ्तर नहीं आने के कारण आम पब्लिक को काफी परेशानी भी हुई। 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' ने होली के बाद सरकारी ऑफिस का रियलिटी चेक किया। जहां आधे से अधिक ऑफिस में कर्मचारी नदारद मिले। कुछ ऑफिस में कर्मचारी मिले, लेकिन वे भी मोबाइल फोन में गेम खेलने में व्यस्त दिखे।

खाली थीं सारी कुर्सियां

-नगर निगम कार्यालय

टाइम: 12.05 बजे

नगर निगम ऑफिस में दिन के बारह बजे कई चेयर खाली मिले। कर्मचारी अपने स्थान पर नहीं थे। वहीं निगम परिसर स्थित जन सुविधा केंद्र का काउंटर ही नहीं खुला। नक्शा शाखा में सभी इंजीनियर गायब थे। सिर्फ इक्के-दुक्के कर्मचारी ही नजर आ रहे थे। नगर निगम में आधे से अधिक कर्मचारी गायब थे। कोई अपने चेयर पर नहीं था तो कोई ऑफिस ही नहीं आया। निगम में काम कराने पहुंचे लोगों को बगैर काम कराए ही वापस लौटना पड़ा।

आधे से ज्यादा कर्मचारी गायब

-डीटीओ ऑफिस

टाइम: 12.40 बजे

डीटीओ ऑफिस का नजारा भी अद्भुत था। यहां तो आधे से अधिक कर्मचारी डयूटी पर आए ही नहीं। ऑफिस में सभी कुर्सियां खाली पड़ी थीं। वहीं डीटीओ संजीव कुमार भी छुट्टी मना रहे थे। इन दिनों सबसे ज्यादा भीड़ डीटीओ ऑफिस में ही उमड़ रही है। लाइसेंस बनवाने के लिए हर दिन सैकड़ों लोग डीटीओ ऑफिस पहुंचते हैं। भारी भीड़ के कारण लोगों को लाइसेंस बनवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में ऑफिस खुले होने के बावजूद कर्मचारियों के नहीं आने से आम पब्लिक को ही खामियाजा भुगतना पड़ता है।

चारों ओर पसरा रहा सन्नाटा

-कमिश्नर ऑफिस

टाइम: 1.22 बजे

दक्षिणी छोटानागपुर कमिश्नर ऑफिस में भी सन्नाटा पास रहा। न कर्मचारी आए, न ही अधिकारी दिखे। अपर समाहर्ता का चेंबर भी खाली रहा। ऑफिस में अन्य पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी भी नदारद थे। हालांकि, यहां पब्लिक भी नजर नहीं आ रही थी। इसके अलावा रजिस्ट्री ऑफिस में भी सन्नाटा पसरा था। न रजिस्ट्रार दिख रहे थे, न ही अन्य कर्मचारी।

यहां भी होली का 'साइड इफेक्ट'

--डीडीसी व आरआरडीए ऑफिस

टाइम: 1.51 बजे--डीडीसी

टाइम: 1.33 बजे-आरआरडीए

डीडीसी ऑफिस एवं आरआरडीए में भी होली का असर दिखा। यहां भी अधिकारी, पदाधिकारी और कर्मचारी गायब थे। डीडीसी ऑफिस में न ही डीडीसी थे और न ही परियोजना पदाधिकारी। इसके अलावा अन्य कर्मचारी भी अपनी कुर्सी से गायब थे। वहीं आरआरडीए का हाल और भी बुरा था। यहां अध्यक्ष पद बीते लगभग साल भर से खाली पड़ा है। वहीं सचिव भी छुट्टी में हैं। इंजीनियर साहब का भी कोई अता-पता नहीं है। ऑफिस में इक्के-दूक्के पदाधिकारी नजर आ रहे थे।

Posted By: Inextlive