लातिन अमरीकी देश क्लिक करें वेनेजुएला में क्लिक करें वाइन की बड़ी किल्लत चल रही है जिससे वहां के क्लिक करें कैथोलिक चर्च में होने वाले आयोजन भी प्रभावित हो रहे हैं.


चर्च के बयान में कहा गया है कि कुछ उत्पादों की कमी के कारण देश में वाइन बनाने वाली इकलौती कंपनी ने चर्च को वाइन बेचना बंद कर दिया है. आलोचकों का कहना है कि ये अर्थव्यवस्था पर सरकार के कड़े नियंत्रण और नाकाफी घरेलू उत्पादन का नतीजा है. लेकिन सरकार का कहना है कि इसके लिए विपक्ष के नेतृत्व में हो रही साजिश और जमाखोरी जिम्मेदार हैं. कई चीजों की किल्लत चर्च के प्रवक्ता मॉन्सिगर लकर ने बीबीसी को बताया, "(हमारे आपूर्तिकर्ता) बोडेगास पोमर ने हमें बताया है कि वो अब आगे हमें वाइन नहीं दे पाएंगे और वो समस्याओं का सामना कर रहे हैं."


प्रवक्ता के अनुसार उन्हें वाइन बनाने के लिए कुछ चीजें आयात करनी पड़ती हैं लेकिन अब वो इसकी किल्लत झेल रहे हैं. मॉन्सिगर लकर ने बताया कि उनके पास इतनी वाइन तो है कि दो महीने के लिए पर्याप्त हो लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि इसके बाद चर्च विदेश से वाइन मंगाने में सक्षम है या नहीं.

उनके अनुसार समस्या सिर्फ वाइन तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, "ब्रेड बनाने वालों ने हमसे कहा है कि उन्हें दाम बढ़ाने होंगे क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में आटा नहीं मिल रहा है." उनके अनुसार. "यहां गेहूँ की पैदावार नहीं होती है- वो यहां विदेश से लाया जाता है. ब्रेड का एक पैकेट हमें 50 बोलिवर (लगभग 400 रुपये) में पड़ता था लेकिन अब ये 100 का मिल रहा है." टॉयलेट पेपर भी नहीं तेल संसाधनों से मालामाल वेनेजुएला विदेश से आने वाली चीजों पर निर्भर है लेकिन मुद्रा पर कड़ा नियंत्रण विदेशी चीजों का भुगतान करने की उसकी क्षमता को सीमित कर देते हैं और ये भी किल्लत का एक कारण बनता है.वहां दूध, चीनी, खाना बनाने का तेल और मक्के के आटे की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है. ये सभी चीजें वेनेजुएला के राष्ट्रीय व्यंजन अरेपास में इस्तेमाल होती हैं. इतना ही नहीं, साफ सफाई से जुड़े उत्पाद भी वहां लोगों को नहीं मिल पा रहे हैं.पिछले हफ्ते ही वेनेजुएला के सांसदों ने क्लिक करें शौचालय में इस्तेमाल होने वाले पेपर के करोड़ों रोल खरीदने की योजना को मंजूरी दी है ताकि वहां इससे जुड़ी पुरानी समस्या से निपटा जा सके.राजधानी काराकस में बीबीसी संवाददाता अब्राहम जामोरानो का कहना है कि वेनेजुएला के बहुत से लोग हैरान हैं कि उनके स्वघोषित अमीर देश में ये क्या हो रहा है जिसके पास दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार बताए जाते हैं.

Posted By: Garima Shukla