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RANCHI: जिंदगी हर कदम एक नई जंग है जी हां, नितिन मुकेश और लता मंगेशकर का यह गीत आज के समय में बिल्कुल फिट बैठता है। कोरोना की वजह से आम पब्लिक की जिंदगी आज जंग में बदल गई है। लगभग तीन महीने के लॉकडाउन ने सभी कारोबार पर गहरा प्रभाव डाला है। चाहे छोटी सी चाय की दुकान हो या बड़ी कंपनी, सभी के बिजनेस में बुरा असर हुआ है। ऐसा ही एक वर्ग है, कलाकार वर्ग। कलाकार बीते तीन महीने से बेरोजगार बैठे हैं और अगले छह महीने भी रोजगार मिलने की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि यह प्रोफेशन भीड़ इकट्ठा करता है, बगैर लोगों कीगैदरिंग सिंगिग या डांसिंग नहीं हो सकता है। जबकि कोरोना वायरस ने हर व्यक्ति को अलग-अलग रहने के लिए मजबूर कर दिया है। यह वायरस सामाजिक दुरियां ले आया है। जिसने कलाकारों को भारी मुसबीत में डाल दिया है। अब राजधानी के कलाकार अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। कलाकारों की आर्थिक स्थिति भी लगातार खराब होती जा रही है। जो थोड़ी-बहुत सेविंग थी उसी से काम चल रहा है। लेकिन भविष्य में काम नहीं मिलने की सोचकर ही कलाकार वर्ग काफी परेशान है।

दूसरे प्रोफेशन में स्थिति सुधरने की उम्मीद

कोरोना की मार सभी प्रोफेशन पर पड़ी है। हालांकि, दूसरे प्रोफेशन की हालत कुछ दिनों में ठीक हो सकती है। लेकिन आर्टिस्ट, सिंगिंग, डांसिंग, आरकेस्ट्रा, जागरण स्टेज शो आदि करने वाले कलाकारों के लिए यह समय काफी तनाव भरा है। स्टेज शो करने वाले कलाकारो की कमाई ज्यादा होती भी नहीं, जिससे वे इतना सेविंग कर सकें कि एक साल तक बैठ कर खा सकें। रांची के कलाकारों ने बताया कि कई ऐसे आर्टिस्ट्स हैं, जिनके यहां दो महीने में परेशानी होने लगी। घर में खाने को अनाज तक नहीं है। कलाकार आपस में मिलकर एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। दरअसल, मदद करने वाली संस्था भी सबसे नीेचले तबके के लोगों तक ही पहुंच रही है। वहीं कलाकार खुद से किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं, यही वजह कि कलाकारों ने आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन का गठन किया है। इसी के तहत जरूरतमंद कलाकार तक पहुंच कर मदद की जाती है।

कलाकारों ने बताई परेशानी

मकान मालिक ने घर से निकाल दिया

कमाई नहीं होने की वजह से घर का किराया नहीं दे सके। कुछ समय देने को कह रहे थे लेकिन मकान मालिक नहीं माना। दो हफ्ते पहले घर से निकाल दिया। बहुत मुश्किल से दोस्त की मदद से मिन्नत करने के बाद दूसरी जगह घर मिला है। मैं की-बोर्ड बजाता हूं। 35 सालों से की-बोर्ड बजा रहा हूं। घर की हालत ठीक नहीं है। आगे भी काम मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती।

-मदन पाठक, आर्टिस्ट

घर में नहीं है अनाज

मैं भी की-बोर्ड बजाता हूं। जीवन भर सिर्फ यही एक काम किया है। दूसरा काम नहीं आता। झारखंड में कलाकारों की आमदनी उतनी नहीं है कि परिवार भी चला लें और सेविंग्स भी कर लें। लॉकडाउन में तीन महीना से एक भी काम नहीं मिला है। जो थोड़ी-बहुत सेविंग्स थी वह खर्च हो गई। घर की हालत पहले ही खराब थी और और अब ज्यादा बिगड़ गई है। एसोसिएशन की ओर से मदद मिला तब जाकर मेरे घर में अनाज आया।

-अश्रि्वनी कुमार, आर्टिस्ट

दवा के लिए भी नहीं है पैसे

मैं स्टेज पर गाना गाती हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा आएगा कि हमें स्टेज से ही दूर रहना पडे़गा। तीन महीने से कोई काम नहीं मिला है। अब तो हालात दिनों-दिन खराब ही होते जा रहा है। दवा के लिए भी सोचना पड़ रहा है। आने वाले समय में भी काम मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। हम लोगों का प्रोफेशन ही लोगों को जोड़ने वाला है, लेकिन कोरोना की वजह से सभी अपने-अपने घर में बंद हैं।

-कृष्णा सैमसन, स्टेज सिंगर

बच्ची के स्कूल से आ रहा नोटिस

कोरोना ने जिंदगी बदल दी है। पहले फुरसत नहीं रहता था और अब फुरसत ही फुरसत है। न काम है न पैसा। दिनों-दिन स्थिति और खराब होती जा रही है। रेंट पर मकान है, मकान मालिक हर दिन किराये की मांग करता है। बच्ची के स्कूल से नोटिस आ रहा है। जल्द ही हम आर्टिस्ट्स के बारे में भी सरकार को सोचना होगा, नहीं तो हालत और बुरी हो जाएगी।

-दीपक श्रेष्ठ, स्टेज सिंगर

एसोसिएशन कर रहा मदद

एसोसिएशन की ओर से कलाकारों की मदद की जाती है, जहां तक हो सकता है। सक्षम कलाकारों से फंड लेकर जिन्हें जरूरत है उनकी मदद की जाती है। हर 10 से 15 दिन के अंतराल में सभी कलाकारों की खबर ली जाती है। हमलोगों ने सरकार को भी पत्र लिखकर कलाकारों के लिए राहत राशि देने की मांग की है।

-कमल शर्मा, अध्यक्ष, आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन

Posted By: Inextlive