RANCHI: आरआरडीए। रांची रिजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी। नाम से ही स्पष्ट है कि विकास के काम करने हैं। फुल टाइम अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, दो सदस्य समेत कई स्टाफ भी हैं। सभी रोज ऑफिस भी आते हैं, लेकिन इनके पास कोई काम नहीं है। न कोई फाइल आ रही है और न ही कोई आदेश लागू हो रहा है। नतीजन, सभी दिन भर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं और शाम को अपने-अपने घरों को चले जाते हैं। यही डेली रूटीन है। हालांकि नव नियुक्त अध्यक्ष परमा सिंह दावा करते हैं कि हम लोग काम तो करना चाहते हैं, लेकिन करने को कुछ हो तब तो।

छह महीने से कोई काम नहीं

अध्यक्ष परमा सिंह कहते हैं कि म् जुलाई को आरआरडीए अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। तब से अब तक लगभग छह महीने होने को आए। लेकिन, कोई काम नहीं हुआ है। यहां तक कि पूरे ऑफिस का सेट अप तक नहीं किया गया है। ना फोन दिया गया है ना फैक्स मशीन है और ना ही कंप्यूटर है। ऐसे में हमलोग काम कैसे करेंगे। छह महीने होने के बावजूद अभी तक न गाड़ी मिली और ना ड्राइवर। सरकार द्वारा काम करने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है। हम लोगों को कहीं आने-जाने के लिए भी खुद से व्यवस्था करनी पड़ रही है।

प्रस्ताव को किया रिजेक्ट

परमा सिंह बताते हैं कि जब हमने ज्वाइन किया तो न्यू मार्केट को पीपीपी मोड पर मॉल कांप्लेक्स के रूप में डेवलप करने का प्रस्ताव तैयार किया। गुड़गांव की कंसल्टेंसी कंपनी काम करने के लिए भी तैयार हो गई, लेकिन जब फाइल अधिकारियों के पास भेजी गई तो उन्होंने कहा कि इस प्रॉपर्टी को पहले ही नगर निगम को ट्रांसफर कर दिया गया है। इसलिए आरआरडीए यहां डेवलपमेंट का कोई काम नहीं कर सकती है। अब अगर अधिकारियों को पहले से सारी जानकारी थी, तो उन्हें पहले ही हमलोगों को बता देना चाहिए था कि आरआरडीए विकास का कोई काम नहीं कर सकती है।

बिना कैबिनेट अप्रूवल के ट्रांसफर कर दी सारी प्रॉपर्टी

अध्यक्ष परमा सिंह और सदस्य मनोज कुमार पांडेय का कहना है कि खादगढ़ा बस स्टैंड, नागाबाबा खटाल, जयपाल सिंह स्टेडियम, आईटीआई बस स्टैंड, धुर्वा, कांके, रातू में जितने बाजार थे सभी आरआरडीए के अंदर आते थे। लेकिन ख्009 में नगर विकास विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने बिना कैबिनेट से अप्रूवल लिए ही आरआरडीए की सारी प्रॉपर्टी नगर निगम के हवाले करने का आदेश जारी कर दिया। आखिर कोई प्रॉपर्टी हस्तांतरित करने से पहले कैबिनेट का आदेश तो होता है न। प्रॉपर्टी की वैल्यू का पेमेंट दिया जाता है, लेकिन आरआरडीए के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। बस एक पत्र जारी हुआ और सारी प्रॉपर्टी नगर निगम को मिल गई

क्भ्0 केस पेंडिंग, उपाध्यक्ष के पास समय नहीं

परमा सिंह बताते हैं कि छह महीने से अभी तक जितने भी जगहों पर हमने जांच की उसमें से करीब क्भ्0 मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं। उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार के पास पहले से ही नगर निगम के सीईओ का काम है। उनके पास आरआरडीए के लिए समय ही नहीं है। नतीजन पेंडिंग मामले यूं ही पड़े हुए हैं। अब हमलोग जांच करके आते हैं, लेकिन उसकी रिपोर्ट अधिकारियों द्वारा निष्पादित ही नहीं की जा रही है। आरआरडीए में अधिकारियों की भी कमी है। क्भ् जूनियर इंजीनियर के पद हैं, लेकिन मात्र फ् जूनियर इंजीनियर हैं। वहीं, 7 असिस्टेंट इंजीनियर की जगह इकलौता असिस्टेंट इंजीनियर तथा तीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की जगह एक ही एग्जीक्यूटिव इंजीनियर है।

अब गांवों का नक्शा भी मुखिया पास करेंगे

बताया गया कि अभी आरआरडीए के पास क्8म् गांवों का नक्शा पास करने का अधिकार है। लेकिन सरकार का आदेश है कि ग्राम पंचायतों को मजबूत करना है। इसलिए गांवों का नक्शा पास करने की जिम्मेवारी पंचायतों के मुखिया के पास होगी। ऐसे में जो एक काम आरआरडीए के पास बचा था, वो भी खत्म हो जाएगा। उसके बाद आरआरडीए का क्या काम होगा। यह कोई बताने वाला नहीं है।

Posted By: Inextlive