हम सब भारत के अमर सपूत शहीद भगत सिंह के नाम से वाकिफ हैं लेकिन आज हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे भारतीय से जिसका नाम भी भगत सिंह था और वो भी एक हक की लड़ाई लड़ा था।

अमृतसर का रहने वाला था भगत सिंह
जिन शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी कारनामों से हम वाकिफ हैं वो लाहौर में जन्मे थे पर इस भगत सिंह की परवरिश अमृतसर में हुई थी। अपनी बेसिक शिक्षा समाप्त करने के बाद ये भगत 1913 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गया था। अपनी शिक्षा पूर्ण करने बाद उन्होंने अमेरिकन फौज में नौकरी कर ली।
काले होने के कारण नहीं मिली नागरिकता
पांच साल तक अमेरिकी सेना के साथ जुड़े रहने के बाद भगत सिंह ने वहां की नागरिकता हासिल करनी चाही और 1918 में इसके लिए आवेदन किया। पर अमेरिका में उस समय सिर्फ गोरे लोगों को ही नागरिकता देने का अभियान चल रहा थ्ज्ञा जिसका नाम था फ्री व्हाइट पर्सन। लिहाजा भारतीय होने के चलते उनके रंग के गोरे ना होने के कारण काला बता कर उनका आवेदन स्वीकार नहीं हुआ। ऐसा दो बार हुआ। भगत को स्किन ट्रीटमेंट का भी सुक्षाव दिया गया पर उन्होंने इससे इंका र कर के अदालत की शरण ली।

कोर्ट में लड़ी लंबी लड़ाई
भगत ने 1923 में अमेरिकी अदालत से अपने हक की गुहार लगाई। लंबी मुकदमे बाजी और अपमान सह कर संघर्ष करने के बाद उन्हें हक मिल पाया। हालाकि इन भगत सिंह के बारे में बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है पर फिर भी ऐसा लगता है कि उन्होंने विदेश में रह कर भरतीयों की उपेक्षा और अपमान के खिलाफ लड़ाई लगी।
अब मिलेगी पहचान
उम्मीद है कि अब भगत सिंह को वो पहचान मिलेगी जिसके वे हकदार हैं। क्योंकि एशियन अमेरिकन थिएटर ग्रुप के साथ मिल कर भारतीय मूल के मयंक केशवीह अपने लिखे एक नाटक का मंचन करने जा रहे ळैं जिसमें भगत सिंह के जीवन के बारे में बताया गया है। इसके अलावा वे लोग उनके सर्मथन औश्र उनके बारे में जागरुकता के लिए मार्च भी निकालेंगे।

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Posted By: Molly Seth