ग्‍लासगो में कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स शुरू हो चुके हैं और सभी खिलाड़ी अपनी बारी आने पर अपना बेस्‍ट देने की कोशिशों में लगे हुए हैं. लेकिन अगर आप को किसी ऐसे खिलाड़ी के बारे में पता चले जिसके खेल की वजह से उसकी शा‍दी नही हो सकी तो आपको थोड़ा रंज हो सकता है.


गीता फोगट को नही मिल रहा दूल्हागीता फोगट किसी परिचय की मोहताज नही हैं. इस भारतीय खिलाड़ी ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. हरियाणा में गीता के नाम का डंका बजता है और लोग उन्हें अपने क्षेत्र का स्टार मानते हैं लेकिन कोई भी शादी नही करना चाहता. दरअसल लगातार कुश्ती के कारण गीता के कानों की शक्ल काफी बिगड़ गई है. उनकी बॉडी भी काफी कुछ हद पुरुषों जैसी हो गई है. इस खिलाड़ी ने 2012 में एक इंटरव्यू में कहा था कि उनसे कोई भी शादी नही करना चाहता है. ओलंपिक में किया क्वालीफाई
गीता फोगट फर्स्ट इंडियन वीमेन प्लेयर हैं जिन्होंने ओलंपिक में क्वालिफाई किया है. इसके साथ ही इनकी बहन बबिता भी कुश्ती के खेल में माहिर है और राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीत चुकी हैं. इस बार ग्लासगो में होने वाले गेम्स में बबिता फ्री-स्टाइल 51 किग्रा में पदक के लिए दावा पेश करेंगी. हालांकि गीता चोटिल होने के कारण इस बार भारत को रिप्रजेंट नही कर पाएंगीं. यह दोनों बहनें हरियाणा के जिले भिवानी के बबली गांव की रहने वाली हैं. यह राज्य जेंडर रेशियो को लेकर देश भर में बदनाम है. इसलिए फोगट बहनों की दादी गीता की जगह एक बेटा चाहती थीं लेकिन गीता की सफलता के बाद उनकी दादी कहती हैं कि ऐसी 100 बेटियां और चाहिए.   कर्णम मल्लेश्वरी से ली प्रेरणागीता फोगट को पहलवानी खून में ही मिली है. गीता के पिता महावीर सिंह राज्य स्तरीय पहलवान हैं और जब उन्होंने कर्णम मल्लेश्वरी को ओलिंपिक में मेडल जीतते देखा तो अपनी 13 साल की बेटी गीता को भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने के बाद गीता ने एनआईएस, पटियाला में ट्रेनिंग ली.

Posted By: Prabha Punj Mishra