- भाई के साथ जालसाजी होने पर फेक ट्विटर बना किया था ट्वीट

- आईजी गोरखपुर को मिला था फेक ट्विटर से कार्रवाई का निर्देश

- दोस्त के मोबाइल से बनाया था फेक ट्विटर हैंडल

LUCKNOW: अपने भाई के साथ हुई ठगी की शिकायत पर पुलिस ने लापरवाही बरती तो 9वीं क्लास का छात्र खुद ही 'डीजीपी' बन बैठा। डीजीपी बने इस बच्चे के आदेश पर पुलिस हरकत में आई और आनन फानन ठगी के पैसे भी उसे वापस दिला दिए। असल में ये बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाला मामला है, गोरखपुर के गुलरिहा थाना का। क्लास नौ में पढ़ने वाले एक छात्र का भाई कबूतरबाजों की जालसाजी का शिकार बन गया। पुलिस से गुहार लगाई लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद इस नाबालिग छात्र ने डीजीपी ओपी सिंह के नाम पर फेक ट्विटर हैंडल से आईजी गोरखपुर को सीधे कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। इसकी भनक डीजीपी ऑफिस को लगी तो हड़कंप मच गया। इसके बाद डीजीपी के पीआरओ ने मामले का संज्ञान लिया। डालीगंज चौकी इंचार्ज की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर साइबर सेल ने जांच शुरू की। जिसके बाद गोरखपुर के दो छात्र पकड़े गये, जिनको पुलिस ने हिदायत देकर छोड़ दिया।

हजरतगंज थाने में दर्ज कराया गए केस

डीजीपी ओपी सिंह के नाम पर फेक ट्विटर हैंडलल@omprakashdgp के नाम से मार्च महीने में कई फेक ट्वीट किए गए। महाराजगंज जिले के एक युवक ने डीजीपी के फेक ट्विटर हैंडल के बारे में यूपी पुलिस और डायल 100 को ट्वीट कर इसकी सूचना दी थी। जिसके बाद डीजीपी के पीआरओ और ट्विटर सेवा प्रभारी राहुल श्रीवास्तव ने डालीबाग चौकी इंचार्ज को मामले की जांच के निर्देश दिये। डालीबाग चौकी इंचार्ज धनश्याम यादव ने हजरतगंज थाने में डीजीपी की फेक आईडी बनाने वाले अज्ञात के खिलाफ 16 मार्च को केस दर्ज कराया था। इस मामले की जांच लखनऊ साइबर सेल को सौंपी गई थी।

गोरखपुर से पकड़े गए दोनों छात्र

डीजीपी के फेक ट्विटर हैंडल बनाये जाने की जानकारी मिलने पर तत्काल उस अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया। साइबर सेल की टीम इस मामले की पड़ताल कर रही थी। शुक्रवार को साइबर सेल की टीम ने गोरखपुर के गुलरिहा थाना स्थित भटहट कस्बा में एक किशोर और मोहद्दीनपुर निवासी तबारक अली को पकड़ा था जो नाबालिग थे। किशोर 9वीं कक्षा का छात्र बताया जा रहा है जबकि दूसरा उसका साथी बताया जा रहा है।

ठग को सबक सिखाने के लिए फेक अकाउंट

पकड़े गए छात्र ने बताया कि डीजीपी का फेक अकाउंट उसने अपने एक दोस्त के मोबाइल से बनाया था। छात्र ने बताया कि कुछ समय पहले उसके बड़े भाई से एक कबूतरबाज ने विदेश भेजने के नाम पर 45 हजार रुपये वसूल लिए थे। कबूतरबाज ने धोखे से उसके भाई की रकम ठग ली थी और पुलिस से शिकायत के बाद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसे डीजीपी के ट्विटर सेवा की जानकारी हुई और उसने इस नाम से एक फेक ट्विटर हैंडल बनाया।

आईजी गोरखपुर को किया था ट्वीट

डीजीपी के फेक ट्विटर अकाउंट बनाकर छात्र ने आईजी गोरखपुर को ठगी के आरोपी कबूतरबाज के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते हुए ट्वीट किया था। डीजीपी के ट्वीट को देख गोरखपुर पुलिस के भी होश उड़ हो गए थे। आनन फानन में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कबूतरबाज से 35 हजार रुपये पीडि़त को वापस भी कराए।

लगातार निर्देश देने पर खुली पोल

छात्र के फेक ट्विटर के जरिए कराए गए एक्शन के बाद उसका हौसला बढ़ गया। इसके बाद उसने कई ट्वीट किए और ट्विटर पर शिकायत करने वालों को उल्टे सीधे जवाब भी ट्वीट किए। जिस पर महाराजगंज के एक युवक ने शिकायत की। युवक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने तत्काल डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिया और उसको हैंडल करने वाली की तलाश शुरू कर दी।

नाबालिग होने पर कार्रवाई से बख्शा

साइबर सेल की टीम ने दोनों छात्रों को गोरखपुर से हिरासत में लिया और उन्हें शनिवार को लेकर लखनऊ पहुंचे। छात्रों के साथ उनके पैरेंट्स भी थे। छात्रों ने अपनी गलती को पुलिस के सामने स्वीकार कर लिया। वहीं पुलिस ने छात्रों के भविष्य और नाबालिग होने पर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर चेतावनी देकर छोड़ दिया।

पहले भी अधिकारियों की बन चुकी फेक आईडी

डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट बनाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई अधिकारियों की ऑफिशियल फेक आईडी बनाकर उसका मिस यूज किया जा चुका है। तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के नाम पर भी राजधानी के एक युवक ने फेक फेसबुक आईडी बनाई थी। फेक फेसबुक आईडी पर लखनऊ पुलिस के प्रमोशन की कई फोटो और कमेंट भी डाले गए थे। तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की शिकायत पर साइबर सेल पुलिस ने फेक एफबी आईडी बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार भी किया था।

कोट

डीजीपी के फेक ट्विटर हैंडल बनाने का मामले की साइबर सेल टीम जांच कर रही थी। इस मामले में दो लोगों को गोरखपुर से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। दोनों आरोपी नाबालिग हैं। जिसके चलते उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने की जगह चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

अभय कुमार मिश्र,

प्रभारी साइबर सेल, सीओ हजरतगंज

Posted By: Inextlive