- फेल होने की कगार पर स्वास्थ्य विभाग की 'हौसला-साझेदारी योजना'

- कम पैसे में नसबंदी करने को तैयार नहीं हैं हॉस्पिटल्स

फेल होने की कगार पर स्वास्थ्य विभाग की 'हौसला-साझेदारी योजना'

- कम पैसे में नसबंदी करने को तैयार नहीं हैं हॉस्पिटल्स

ALLAHABAD:

ALLAHABAD:

हेल्थ डिपार्टमेंट की महात्वाकांक्षी योजना 'हौसला-साझेदारी' लांच होने के चंद महीनों बाद ही फेल होने की कगार पर आ गई है। योजना में शामिल हॉस्पिटल्स कम पैसों में नसबंदी करने को तैयार नहीं हैं। लाभार्थी भी पैसों की लालच में सरकारी हॉस्पिटल्स को तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में नसबंदी कराने वालों की संख्या तेजी से घट रही है।

एक हजार में क्यों कराएं नसबंदी?

इस योजना के तहत प्राइवेट हॉस्पिटल्स को नसबंदी करने की परमिशन दी गई है। पुरुष और महिलाओं दोनों को योजना के अंतर्गत नसबंदी कराने पर एक-एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं। जबकि, सरकारी हॉस्पिटल्स में सामान्य नसबंदी कराने पर महिलाओं को क्ब्00 और पुरुषों को दो हजार रुपए दिए जाते हैं।

हॉस्पिटल्स ने भी मोड़ लिया मुंह

जिले के केवल ख्ख् हॉस्पिटल्स ने योजना में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। इनमें क्भ् को स्वास्थ्य विभाग की ओर से परमिशन दी गई है। इन हॉस्पिटल्स को प्रति केस के लिए महज तीन हजार रुपए दिए जाते हैं और इनमें से एक हजार रुपये लाभार्थी को देना होता है। हॉस्पिटल संचालकों का तर्क है कि महज दो हजार रुपए में लाभार्थी की नसबंदी करना मुमकिन नहीं है। इसमें सर्जरी के अलावा खून समेत दूसरी पैथोलॉजिकल जांच भी करनी होती है।

नौ महीने में केवल क्0ख्ख् केस

प्राइवेट हास्पिटल में नौ महीनों में केवल क्0ख्ख् नसबंदी के मामले सामने आए हैं। इनमें क्009 महिलाएं और क्फ् पुरुष शामिल हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में हॉस्पिटल्स को नसबंदी के अधिक केस करने पर ज्यादा लाभ देने की योजना पर विचार चल रहा है। यह भी बता दें कि यूपी सरकार ने हौसला-साझेदारी नाम से वेब पोर्टल भी लांच किया है।

फैक्ट फाइल

क्यों परवान नहीं चढ़ी योजना

- ऑनलाइन आवेदन करने वाले हॉस्पिटल्स की सुविधाओं और सर्जन का वेरिफिकेशन किया जाता है।

- योजना के तहत नसबंदी कराने पर लाभार्थी को महज एक हजार रुपए दिए जाते हैं।

- सरकारी हॉस्पिटल्स में महिलाओं को क्ब्00 और पुरुषों को ख्000 रुपए इसके लिए मिलते हैं।

- निजी हॉस्पिटल्स को पर केस महज दो हजार रुपए मिलते हैं, जिनमें सर्जरी के साथ सभी जांच भी करनी पड़ती है।

योजना का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। भविष्य में हॉस्पिटल्स को अधिक लाभ देने पर विचार किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत की जाने वाली नसबंदी की संख्या को बढ़ाया जाना सुनिश्चित है।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, इलाहाबाद

Posted By: Inextlive