अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के माैजूद जीनोम की डिटेल स्टडी के बाद यह पता लगाया है कि कोविड-19 प्राकृतिक रूप से फैला है। इसे लैब में नहीं बनाया गया है। लैब में विकसित करने की बात अफवाह है।

लाॅस एंजेल्स (पीटीआई)नोवल कोरोना वायरस जिसकी वजह से कोविड-19 महामारी फैली इसे लैब में नहीं बनाया जा सकता है। यह प्राकृतिक रूप से पनपा है। यह खुलासा एक नये शोध में हुआ है। शोध में कहा गया है कि इस वायरस के लैब में बनाए जाने की बात सिर्फ अफवाह भर है। यह स्टडी जरनल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं ने नोवल कोरोना वायरस, एसएआरएस-सीओवी-2 और संबंधित वायरस के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जीनोम सिक्वेंस के आधार पर यह विश्लेषण किया है।

Coronavirus : जानें क्या है COVID-19 और क्यों पड़ा ऐसा नाम

चीनी अथाॅरिटी ने तेजी से महामारी की पहचान की

अमेरिका के द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि यह वायरस लैब में विकसित किया गया है। द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक और स्टडी के सह लेखक क्रिश्चियन एंडरसन ने कहा कि अभी तक पहचाने गए कोरोना वायरस स्ट्रेंस के मौजूद जीनोम सिक्वेंस डाटा की तुलना करने से पता चलता है कि एसएआरएस-सीओवी-2 प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा विकसित हुआ है। वे कहते हैं कि सिक्वेंस डाटा बताता है कि चीनी अथाॅरिटी ने तेजी से महामारी की पहचान की।

इंसान की कोशिकाओं को ऐसे लेता है कब्जे में

एक बार इंसान कोविड-19 से संक्रमित हुआ तो 'इंसान से इंसान' के संपर्क में आने पर इसकी संख्या तेजी से बढ़ती चली गई और इसने महामारी का रूप धर लिया। वायरस के 'टेल-टेल' फीचर पर फोकस करके वैज्ञानिकों ने इसके सिक्वेंस डाटा का प्रयोग किया और एसएआरएस-सीओवी-2 के पनपने का पता लगाया। ऐसा करके वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने वायरस के आनुवंशिक नमूने का विश्लेषण किया। वायरस अपनी बाहरी दीवारों पर बने कवच का इस्तेमाल करके इंसान या जानवरों की कोशिका की बाहरी दीवार को भेद कर उसे अपने कब्जे में ले लेता है।

इंसानी कोशिकाओं को टारगेट करने के लिए विकसित

यह शोध वायरस के स्पाइक प्रोटीन के दो फीचर पर फोकस था। एक है रेसीपेटर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी), एक प्रकार का हुक जो संक्रमित कोशिका को अपने कब्जे में करता है। दूसरा क्लीवेज साइट, यह एक अणु होता है जो वायरस को संक्रमित कोशिका को भेद कर उसके भीतर जाने का रास्ता बनाता है। शोध के मुताबिक, एसएआरएस-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन का आरबीडी इंसानी कोशिका की बाहरी दीवारों को भेदने के लिए खास तौर पर विकसित हुआ है। इसे एसीई2 कहा जाता है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में शामिल है।

चमगादड़ और पैंगोलिन में पाए जाने वाले वायरस से विकसित

कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन मानव कोशिकाओं को भेदने में बहुत प्रभावी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्राकृतिक रूप से ही संभव है, यह जेनेटिक इंजीनियरिंग के बस की बात नहीं है। यदि कोरोना वायरस को रोगाणु के तौर पर विकसित किया गया होता तो उस वायरस के आधार पर बनाया जाता जो पहले से बीमारी के लिए जाना जाता है। लेकिन शोध बताता है कि एसएआरएस-सीओवी-2 का आधार कोरोना वायरस के उन रूपों से अलग है जो पहले से परिचित हैं। यह चमगादड़ों और पैंगोलिन में पाए जाने वाले वायरस के मिलने से विकसित हुआ है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh