Meerut : ओलंपिक में 11 मेडलों की वो सुनहरी यादें. मेजर ध्यानचंद का अपनी हॉकी के साथ का वो रिश्ता. इन दोनों यादों को अगर अतीत के झरोखों से हटा दिया जाए तो भारतीय हॉकी असफलता के अंधेरे में गुम होती दिखी है. अब अगर कुछ अच्छा हुआ है तो पहले वल्र्ड हॉकी सीरीज और अब हॉकी इंडिया लीग की शुरूआत. तो क्या अब बदलेगी भारतीय हॉकी की सूरत. लौटेगा भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्चस्व. उम्मीदे बहुत हैं हो भी क्यों ना हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी संघ की आपस में वर्चस्व की लड़ाई में पहली बार खिलाडिय़ों का भला होता दिखा है.


तो हुआ भला खिलाडिय़ों काबीजिंग ओलंपिक में क्वालीफाई नहीं करने, लंदन ओलंपिक में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली भारतीय हॉकी टीम के लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा। पहले भारतीय हॉकी संघ ने वल्र्ड हॉकी सीरीज शुरू की, जिसमें हॉकी खिलाडिय़ों पर पैसों की बरसात हुई। अब हॉकी इंडिया ने हॉकी इंडिया लीग की शुरूआत करके खिलाडिय़ों के लिए कई अवसर प्रदान किए हैं।बदलेगी अब सूरत


दोनों लीग में खिलाडिय़ों पर पैसों की बरसात हुई है। अपने मेहनताने को भी तरसने वाले खिलाडिय़ों को लाखों कमाने का मौका मिला है। देखा जाए तो आईपीएल जैसी लीग ने ही भारत में क्रिकेट की तस्वीर बदली। आज हर परिवार अपने बच्चें को ये आश्वस्त होकर क्रिकेट खिलाता है कि देश के लिए नहीं खेल पाया तो क्या आईपीएल तो खेल ही लेगा। शायद यही कसक अब हॉकी में भी दिखे। उम्मीदें तो बंधी हैं। अगर ऐसा हुआ तो फिर देश का हर बच्चा फिर से हॉकी स्टिक उठाने को उत्साहित दिखेगा।क्या है कमी

दरअसल, समय बदला लेकिन भारतीय हॉकी अपने पुराने वर्चस्व को ही याद कर अपनी पीठ थपथपाती दिखी। आधुनिक हुई हॉकी में एस्ट्रो टर्फ पर नौनिहाल तैयार नहीं किए जा रहे। बड़े सेंटरों को छोडक़र आज भी हॉकी में नई पौध घास के मैदानों पर तैयार की जा रही है।हॉकी में अच्छे पल- भारत ने ओलंपिक में अब तक जीते 11 मेडल- मेजर ध्यानचंद ने दी हॉकी में देश को पहचान- डब्लूएचएस और एचआईएल की शुरूआतबुरे पल- राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद सुविधाएं सीमित- हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी संघ में वर्चस्व की लड़ाई- बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं करना- लंदन ओलंपिक में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन'हॉकी के लिए ये संजीवनी जैसा है। बहुत उम्मीदें बंधी है हॉकी के उत्थान में। पैसा होगा तो निश्चित युवा इस खेल में करियर बनाने की सोचेंगे.'ज्ञानेन्द्र सिंह, हॉकी कोच'खिलाडिय़ों का फायदा हुआ है। उन्हें मौके मिले हैं। वह खुद को साबित करना चाहेंगे और इन लीग में चयन के लिए मेहनत करना चाहेंगे। निश्चित इससे देश की हॉकी जरूर बदलेगी.'विकास शर्मा, हॉकी खिलाड़ी'खिलाडिय़ों के लिए ये अच्छा मौका है। अगर खिलाड़ी दुनिया भर के खिलाडिय़ों के साथ एक साथ रहेंगे। तो उन्हें उनसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा.'रोमियो जेम्स, पूर्व हॉकी खिलाड़ी

Posted By: Inextlive