एमडीए और प्राइवेट कॉलोनाइजर की कॉलोनियों के अप्रूव्ड लेआउट होंगे वेबसाइट पर अपलोड

रेरा में आ रही शिकायतों को संज्ञान में लेने के बाद शासन स्तर पर पहल

Meerut। प्रॉपर्टी लेने से पहले किसी भी कॉलोनी का लेआउट अवश्य चेक कर लें, चाहे वो प्राइवेट कॉलोनाइजर की हो या खुद एमडीए की कॉलोनी हो। इस तरह की एडवाइस अक्सर मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) प्रॉपर्टी खरीदार देता आ रहा है। लेकिन यह कैसे संभव है? प्राधिकरण के नियोजन विभाग में सभी कॉलोनियों और ग्रुप हाउसिंग के लेआउट रहते हैं, जिन्हें सार्वजनिक करना आसान नहीं है। ऐसे में या तो खरीदार आरटीआई में कॉलोनी या ग्रुप हाउसिंग का लेआउट मांगे या फिर एमडीए के चक्कर काटता घूमे। ऐसे में शासन के निर्देश पर प्राधिकरण ने खरीददार के लिए बड़ी राहत कर दी है। एमडीए परिक्षेत्र में सभी प्राइवेट और एमडीए की कॉलोनियों के लेआउट अब ऑनलाइन होंगे। खरीदार किसी भी संपत्ति की खरीद से पहले ऑनलाइन चेक कर सकेगा कि उसकी प्रॉपर्टी का लेआउट प्राधिकरण से अप्रूव है या नहीं।

केस 1

एमडीए ने दर्ज कराया था मुकदमा

गंगानगर के समीप गत दिनों एक कॉलोनाइजर के खिलाफ प्राधिकरण ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि कॉलोनाइजर ने अप्रूव लेआउट से कई गुना अधिक कॉलोनी का विस्तार कर लिया और लेआउट एमडीए से अप्रूव्ड बताकर अवैध कॉलोनी की बिक्री भी कर ली। तफ्तीश में निकलकर आया कि कॉलोनाइजर ने अपनी जमीन के पास पड़ी सिंचाई विभाग की जमीन का कब्जा लिया और उस पर अवैध कॉलोनी का निर्माण कर दिया। कॉलोनी के अवैध हिस्से में रह रहे लोग अब अपने निर्माण को रेग्युलर कराने के लिए परेशान हैं।

केस 2

कई गुना अधिक निर्माण किया

नूरनगर रोड पर स्थित एक कॉलोनी में कॉलोनाइजर ने प्राधिकरण में जो लेआउट पास कराया, उससे कई गुना अधिक निर्माण कर लिया। इतना ही नहीं, मेन कॉलोनी के अलावा वाटिका और एक्सटेंशन जैसे नामों से अलग गु्रप हाउसिंग और कॉलोनियां एक ही अप्रूव्ड लेआउट की आड़ में न सिर्फ बना लीं बल्कि बिक्री भी कर ली। आंखों में धूल झोंककर लोगों को अवैध प्लाट्स वैध बताकर बेंच दिए और अब वही लोग कंपाउंडिंग के लिए प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं। जबकि प्राधिकरण ने लेआउट अप्रूव्ड न होने के चलते कंपाउंडिंग से साफ मना कर दिया है।

नहीं झोंक सकेंगे आंखों में धूल

एमडीए उपाध्यक्ष राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि किसी भी कॉलोनाइजर को कॉलोनी में उतना ही निर्माण करने का अधिकार है जितना लेआउट उसने पास कराया है। लेआउट के अतिरिक्त निर्माण अवैध है। आमतौर पर देखने में आया है कि कॉलोनी के अपूव्ड लेआउट की आड़ में कॉलोनाइजर आसपास के एरिया में भी निर्माण कर लेते हैं और कॉलोनी को अप्रूव्ड बताकर बिक्री कर देते हैं। प्रदेश के ज्यादातर प्राधिकरणों में इस तरह की मुश्किलें आती हैं। अवैध लेआउट पर निर्माण के बाद जब निर्माणकर्ता कंपाउंडिंग के लिए पहुंचता है तो लेआउट अप्रूव्ड न होने के कारण उसकी कंपाउंडिंग नहीं हो पाती। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में लगातार पहुंच रही शिकायतों को संज्ञान में लेकर शासन ने प्राधिकरणों को लेआउट ऑनलाइन करने के आदेश दिए हैं। वहीं मेरठ मंडल के प्राधिकरणों में कमिश्नर अनीता सी मेश्राम के निर्देशन में सभी कॉलोनियों को लेआउट को ऑनलाइन किया जा रहा है। एमडीए की आधिकारिक वेबसाइट पर जल्द ही सभी कॉलोनियों का अप्रूव्ड लेआउट अपलोड हो जाएगा।

अप्रूव्ड लेआउट वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद ग्राहक किसी भी कॉलोनी या गु्रप हाउसिंग में मकान खरीदने से पहले अप्रूव्ड लेआउट की पड़ताल कर सकेगा। वेबसाइट पर अनअप्रूव्ड लेआउट पर अवैध निर्माण की शिकायत भी की जा सकेगी।

राजेश कुमार पांडेय, उपाध्यक्ष, एमडीए

Posted By: Inextlive