रिम्स इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को डिस्पोजल बेडशीट मिलने लगी है. मरीजों को किसी तरह इंफेक्शन न हो इससे बचाने के लिए प्रबंधन ने नई पहल की है.

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RANCHI: रिम्स इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को डिस्पोजल बेडशीट मिलने लगी है। मरीजों को किसी तरह इंफेक्शन न हो इससे बचाने के लिए प्रबंधन ने नई पहल की है। इसके तहत इमरजेंसी में आने वाले हर मरीज को डिस्पोजल बेडशीट दी जाएगी। वहीं मरीज को वार्ड में शिफ्ट करते ही बेडशीट को डिस्पोज कर दिया जाएगा। इससे हॉस्पिटल जहां साफ दिखेगा, वहीं मरीजों को भी इससे किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। इमरजेंसी में इसका ट्रायल सफल हो चुका है। ऐसे में जल्द ही यह व्यवस्था वार्डो में भी लागू करने की तैयारी है।

जूट की बेडशीट पर इलाज
इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को गेट पर ही अटेंड किया जाता है। जहां से ट्राली में लादकर उन्हें इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया जाता है। इस दौरान ट्राली पर जूट से बनी व्हाइट बेडशीट रखी जा रही है। इससे पहले मरीजों को सफेद कपड़े की चादर दी जाती थी। जिसका यूज होने के बाद सफाई के लिए भेज दिया जाता था। वहीं अचानक से मरीजों की अधिक संख्या बढ़ जाने पर कई बार गंदी चादरों पर ही मरीज का इलाज करना पड़ता था।

बेडशीट नहीं हो पाती री-यूज
गंभीर रूप से घायल या बीमारी से ग्रसित मरीजों को इमरजेंसी लाया जाता है। जहां ट्रॉली के सहारे उन्हें इमरजेंसी में प्राइमरी ट्रीटमेंट दी जाती है। इस दौरान एक्सीडेंट में घायलों का खून भी बहता है। वहीं कई मरीज उल्टी व टॉयलेट भी कर देते हैं। इससे अधिकतर बेडशीट वेस्ट हो जाती है या फिर उसे धुलाई के लिए लाउंड्री में भेज दिया जाता है। अब डिस्पोजल बेडशीट दिए जाने से धुलाई की टेंशन नहीं होगी। वहीं बेडशीट गंदा होने के बाद सीधे डस्टबिन में डाल दिया जाएगा।

साफ बेड को तरसते हैं मरीज
इमरजेंसी में इलाज के लिए हर दिन 400 मरीज आते हैं। प्राइमरी ट्रीटमेंट देने के बाद उन्हें इनडोर में भर्ती किया जाता है। जहां मरीजों के लिए हर दिन बेडशीट बदलने का भी रूटीन बनाया गया था। इसके तहत दिन के हिसाब से कलरफुल बेडशीट दी जानी थी। लेकिन वार्ड में मरीजों को हर दिन साफ बेडशीट नहीं मिल पाती। वहीं पर्याप्त मात्रा में बेडशीट नहीं होने के कारण मरीजों को भी दिक्कत होती है। चूंकि वार्ड में भी हर दिन 2700 बेडशीट चाहिए। तभी हर दिन मरीजों को साफ बेडशीट मिल पाएगी।

Posted By: Inextlive