साइबर क्राइम सेल के अलावा हर सर्किल में बनाए जाने वाले साइबर क्राइम सेल में पांच साइबर एक्सपर्ट की टीम को तैनात किया जाएगा। जिसमें एक सब इंस्पेक्टर हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल लेवल के कर्मचारी तैनात होंगे। उनकी मॉनीटरिंग उनके सर्किल के डीसीपी व एडीसीपी करेंगे।


लखनऊ (धर्मेंद्र सिंह )। स्ट्रीट क्राइम से चार गुना अधिक है साइबर क्राइम। साइबर क्राइम दिन प्रति दिन गंभीर होता जा रहा है, इसे कंट्रोल करने में सिस्टम पूरी तरह से सफल नहीं हैै। हालांकि इसे कंट्रोल करने के लिए डिपार्टमेंट अब एक कदम उठाने जा रहा है। राजधानी में साइबर क्राइम सेल एक नहीं बल्कि पांच होंगे। अब पुलिस कमिश्नरेट के सभी पाचों सर्किल में साइबर क्राइम सेल होंगे, जो सर्किल वाइज क्राइम ब्रांच व सर्विलांस की तरह काम करेंगे। इसके लिए प्रपोजल तैयार किया जा रहा हैैं।मुट्ठी भी टीम के पास शिकायतों का पहाड़
साल दर साल साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है। बीते एक दशक में साइबर क्राइम 10 गुना हो गया है, ऐसे में साइबर क्राइम सेल के पास जिम्मेदारी भी बढ़ी हैै। मुट्ठी भर टीम के पास शिकायतों का पहाड़ तैयार हो गया है। दो इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, 9 हेड कांस्टेबल और 10 कांस्टेबल के भरोसे हर साल पांच हजार से ज्यादा शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी हैै। कई बार ओवरलोड के चलते कई मामलों में पीडि़त की मदद नहीं हो पाती, तो कई बार संसाधन के अभाव में भी कुछ कमियां रह जाती हैैं। साइबर क्राइम सेल के पास वर्तमान में मात्र एक चार पहिया और एक दो पहिया वाहन है, ऐसे में दूर दराज बैठे साइबर क्रिमिनल्स को पकडऩे में संसाधनों का अभाव भी रुकावट बनता है।समय से मदद मिलने के लिए फैसलाडीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं, अब क्रिमिनल्स अर्बन एरिया की जगह रूरल व आउट स्कर्ट में रहने वालों को निशाना बना रहे हैं। माना जा रहा है कि अर्बन इलाकों में लोगों के जागरूक होने से वे जल्दी साइबर क्रिमिनल्स के जाल में नहीं फंसते, जबकि रूरल व आउट स्कर्ट एरिया में रहने वालों को आसानी से साइबर क्रिमिनल्स जाल में फंसा कर उनकी मेहनत की कमाई लूट रहे हैैं। साइबर क्राइम सेल शहर के बीच में है, जिसके चलते कई बार दूर-दराज से आने वाले पीडि़त देर से पहुंचते हैं और उन्हें मदद मिलने में देरी हो जाती हैै।हर सर्किल में साइबर सेल का मिलेगा फायदा


लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के दायरे का विस्तार होने के बाद अब कई किमी तक कमिश्नरेट का बार्डर है। रूरल और आउट स्कर्ट में रहने वालों की बड़ी संख्या है। कई बार उनके साथ साइबर फ्रॉड होने पर उन्हें साइबर क्राइम सेल तक पहुंचने और शिकायत करने में समय लग जाता है। देरी के चलते उनका पैसा निकल जाता है। हर सर्किल में साइबर क्राइम सेल होने पर वे अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल से तत्काल मदद मांग सकते हैं, ताकि समय रहते उनकी मेहनत की कमाई को बचाया जा सके।हर सेल में पांच लोगों की एक्सपर्ट टीमसाइबर क्राइम सेल के अलावा हर सर्किल में बनाए जाने वाले साइबर क्राइम सेल में पांच साइबर एक्सपर्ट की टीम को तैनात किया जाएगा। जिसमें एक सब इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल लेवल के कर्मचारी तैनात होंगे। उनकी मॉनीटरिंग उनके सर्किल के डीसीपी व एडीसीपी करेंगे।साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर सर्किल में साइबर क्राइम सेल शुरू करने का प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। उच्चाधिकारियों से निर्देश पर पीडि़तों की मदद के लिए इसको जल्द लागू किया जाएगा।-अपर्णा रजत कौशिक, डीसीपी मध्य व प्रवक्ता पुलिस कमिश्नरेट

Posted By: Dharmendra Singh