RANCHI: सेंट्रल स्कूलों में थर्ड लैंग्वेज के रूप में जर्मन की जगह संस्कृत रखे जाने से उत्पन्न विवाद के बाद सीबीएसई ने भी अब फॉरेन लैंग्वेज से किनारा होने की तैयारी कर ली है। इससे सीबीएसई एफिलिएशन प्राप्त सभी स्कूलों के एडमिशन फार्म में बच्चे की मातृभाषा की जानकारी देना अब कंपल्सरी हो जाएगा। साथ ही थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला के तहत पढ़ाई के लिए भाषा का प्रीफरेंस भी देना होगा। तीन भाषा सूत्र के तहत संविधान के प्रावधानों के अनुरूप किसी स्टूडेंट द्वारा इंग्लिश और हिंदी के साथ किसी आधुनिक भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुना जा सकता है। गौरतलब हो कि सीबीएसई तरजीह देता रहा है कि बच्चों को प्राइमरी एजुकेशन के दौरान उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिलनी चाहिए। इसका प्रावधान संविधान की धारा फ्भ्0 ए में वर्णित है। अब स्कूलों से इसकी शुरुआत होने वाली है।

स्कूलों को जारी होगा दिशा-निर्देश

इस बारे में सीबीएसई की ओर से एफिलिएशन प्राप्त सभी स्कूलों को एक दिशा निर्देश जारी किया जा रहा है। निर्देश में सीबीएसई ने कहा है कि मातृभाषा के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन पर दी गई बोर्ड की एग्जामिनेशन कमिटी के अनुरूप एडमिशन फॉर्म भरवाया जाएगा। एडमिशन के लिए जमा किए जाने वाले एप्लीकेशन फॉर्म में अलग से एक कॉलम जोड़ा जाएगा। सीसीई पैटर्न के मुताबिक पढ़ाई के लिए भाषाओं का प्रीफरेंस भरवाए जाने का भी निर्देश है।

लैंग्वेज टीचर्स को मिलेंगे अवसर

लैंग्वेज प्रीफरेंस के लागू होने के बाद स्कूलों में लैंग्वेज टीचर्स को भी अवसर मिलेंगे। जहां एक ओर स्कूलों में फॉरेन लैंग्वेज का ट्रेंड बढ़ने लगा था, वहीं अब इंडियन लैंग्वेज के जानकारों के लिए भी नए ऑप्शन मिलने वाले हैं।

Posted By: Inextlive