Jamshedpur: हाय हाउ आर यू? आई एम फाइन. नाइस टू मीट यू. सेम हियर. नो नो ...! नॉट एट ऑल. कुछ ऐसे ही बोलना है स्टेट वूमन हॉकी की नई उम्मीद बिगन सॉय को. सामने वाला इंग्लिश के कुछ ऐसे सेंटेंस बोल रहा हो तो कांफिडेंट रहना चाहती हैं सिटी की शान वूमन आर्चर दीपिका कुमारी. जी हां ग्लोबल प्लेटफॉम्र्स पर अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने के लिए स्टेट के डिफरेंट गेम्स से जुड़े इंटरनेशनल प्लेयर्स ग्लोबल लैंग्वेज इंग्लिश सीख रहे.

समझ तो लेती हूं,बोल नहीं पाती
जर्मनी में जूनियर वीमेन वल्र्ड कप हॉकी में इंग्लैंड को हराकर कंट्री को ब्रांज मेडल दिलाने में सबसे इंपॉर्टेंट रोल प्ले करने वाली स्टेट की वूमन हॉकी सेंसेशन बिगन सॉय इंग्लिश स्पोकेन का कोर्स कर रही हैं। उनका कहना है कि जर्मनी में उनके शानदार परफॉर्मेंस के बाद उनसे वहां के मीडिया पर्संस ने कई सवाल किए तो वह नर्वस हो गई थी। बिगन ने कहा कि वह उनकी बात काफी कुछ समझ तो लेती थी पर उसका जवाब नहीं दे पाती थी। उन्होंने साफ कहा कि इंटरनेशनल प्लेयर्स को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर कभी न कभी अपनी बात रखनी होती है और ऐसे में झारखंड जैसे स्टेट के विलेजेज से निकले प्लेयर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

दीपिका भी दे रही ध्यान
वल्र्ड वूमेन आर्चरी में देश का नाम रोशन करने वाली टाटा आर्चरी एकेडमी की दीपिका कुमारी भी इंग्लिश के इंपॉर्टेंस को समझती हैं। इसलिए वे भी इंग्लिश पर खास ध्यान दे रही हैं। टाटा आर्चरी एकेडमी में अन्य सŽजेक्ट्स के अलावा इंग्लिश के टीचर भी उन्हें पढ़ाने आते हैं। दीपिका ने कहा कि डेली रुटिन के काम में भी कई बार ऐसा सिचुएशन आता है जब इंग्लिश के बिना चीजों को समझ पाना मुश्किल होता है। वह कहती हैं कि ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर तो इंग्लिश की जरूरत है ही, इसके अलावा हर दिन बदल रहे टेक्नोलॉजी को भी समझने के लिए इस ग्लोबल लैंग्वेज की जरूरत है।

सिर हिला दिया था डुंगडुंग ने
बात 1978 की है। इंडियन मेन हॉकी टीम के प्लेयर रहे स्टेट के सिल्वान्युस डुंगडुंग के पास बेल्जियम टीम का एक प्लेयर आया और उनसे तैयारी के बारे पूछा और मैच के लिए शुभकामनाएं दीं। जवाब में सिल्वान्युस डुंगडुंग यसयस बोलकर सिर्फ अपना सिर ही हिला सके। उन्होंने कहा कि टीम के दूसरे प्लेयर्स और टीम मैनेजमेंट के लोग तो इंग्लिश बोल पाते थे पर उन्हें इस लैंग्वेज को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

कई बार problem हुई है असुंता लकड़ा को
इंडियन वूमेन हॉकी टीम की कैप्टन रह चुकी और फिलहाल पटियाला में ऑर्गेनाइज हुए कैंप में शामिल स्टेट की वूमन हॉकी प्लेयर असुंता लकड़ा को भी इंग्लिश ने काफी परेशान किया है। उनका कहना था कि कई बार इंग्लिश में पूछे गए सवालों को वह ठीक से नहीं समझ पाई थीं और इस वजह से उसका सही जवाब भी नहीं दे पाईं। असुंता ने कहा कि स्टेट गवर्नमेंट को इस ग्लोबल लैंग्वेज पर खास ध्यान देना चाहिए और इसके प्रति काम चलाऊ रवैया छोडऩा चाहिए।
'इंग्लिश की समझ नहीं होने की वजह से मुझे फॉरेन में कई बार प्रॉŽलम हुई। दुख इस बात का है कि तब से लेकर आजतक स्टेट के विलेजेज में इंग्लिश की वही स्थिति है। इस ओर गवर्नमेंट ने ध्यान नहीं दिया.'
-सिल्वान्युस डुंडुंग, फॉरमर हॉकी प्लेयर इंडियन मेंस हॉकी टीम
'आज के दौर में इंग्लिश को इग्नोर करना काफी मुश्किल है। ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर खासकर यूरोपियन कंट्रीज में अपनी बात रखने के लिए इंग्लिश की समझ होनी बहुत जरूरी है। यही वजह है कि मैं भी इंग्लिश पर ध्यान दे रही हूं.'
-दीपिका कुमारी, इंटरनेशनल वूमन आर्चर
'इंग्लिश को लेकर जिस तरह की प्रॉŽलम को मैं फेस कर रही हूं अफसोस है कि नए प्लेयर्स भी उसी प्रॉŽलम को फेस कर रहे। विलेजेज के स्कूल्स में इंग्लिश की पढ़ाई कंपल्सरी करनी चाहिए और इसके लिए स्पेशियलिस्ट टीचर्स रखे जाने चाहिए.'
-असुंता लकड़ा, इंटरनेशनल वूमन हॉकी प्लेयर
'मैं इंग्लिश सीखने के लिए डेली लगभग दो घंटे का समय दे रही हूं। जर्मनी में मुझे इंग्लिश ठीक से न जानने की वजह से प्रॉŽलम हुई थी। अभी तक ठीक से नहीं बोल पाती हूं पर कुछ महीनों में अपनी बात इंग्लिश में रख पाऊंगी.' 
-बिगन सॉय, इंडियन जूनियर वूमन हॉकी टीम की प्लेयर

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive