बुढापे में होने वाली एक कॉमन और दुखदायी बीमारी पार्किंसन के बारे में हम सभी ने सुन रखा है। अभी तक इस बीमारी का प्रीडायग्‍नोज किया जाना लगभग इंपॉसिबल था। इस कारण हाथ पैरों को कंपाने वाली इस बीमारी से उम्रदराज लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे जवानी में ही कुछ आसान टेस्‍ट से यह जाना जा सकेगा कि फ्यूचर में किसी को पार्किंसन रोग होने की संभावना तो नहीं है। इससे बीमारी के इलाज में भी काफी मदद मिलेगी।

आंसुओं की आसान और सस्ती जांच से मिलेगा पार्किंसन का पता

अभी तक जिस पार्किंसन रोग ने दुनिया के करोंड़ों लोगों को बुढ़ापे में परेशान कर रखा है। अब वैज्ञानिक ने उस बीमारी की जड़ को जवानी में ही खोज निकालने का आसान और सस्ता तरीका खोज निकाला है। अमेरिका के लॉस एंजिलिस शहर में सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने बुढ़ापे में आमतौर पर होने वाली बीमारी पार्किंसन का पता लगाने के लिए एक नया फॉर्मूला ढूंढ लिया है। रिसर्च टीम का दावा है कि आंसुओं की जांच से तंत्रिका तंत्र संबंधित इस बीमारी की पहचान में काफी मदद मिलेगी। यानि कि बिना किसी चीड़-फाड़ के बीमारी का पता लगाने वाली यह तकनीक भरोसेमंद होने के साथ ही बहुत किफायती भी है।

 

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आंसुओं में निकलने वाले प्रोटीन बताएंगे आने वाली बीमारी के बारे में

बता दें कि पार्किंसन रोग वो कंडीशन है, जिसमें मरीज के अंगों में कंपन होता रहता है और उसे चलने फिरने के दौरान संतुलन बनाने में काफी कठिनाई होती है। वैज्ञानिकों की टीम के मुताबिक इस रिसर्च में आंसुओं की जांच के दौरान पाया गया कि आंसू की ग्रंथि में कोशिकाओं द्वारा पैदा किए जाने वाले कई प्रकार के प्रोटीन मौजूद होते हैं। आंसू ग्रंथि की इस कार्यप्रणाली को तंत्रिकाएं (नर्व) उत्प्रेरित करती रहती हैं और पार्किंसन रोग दिमाग के बाहर नर्व की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने का क्षमता रखता है। इसी आधार पर यह पता लगाया गया है कि शरीर में नर्व की कार्यप्रणाली में किसी तरह का बदलाव आंसुओं में प्रोटीन के लेवल में झलकता है। यानि कि आंसुओं के प्रोटीन की जांच से समय पर यह पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति में पार्किंसन होने की पॉसीबिलिटी है या नहीं। इस रिसर्च में आंसुओं में पाए जाने वाले चार प्रकार के प्रोटीन का एनालिसिस किया गया।

 

बता दें कि इस रिसर्च के दौरान पार्किंसन के 55 मरीजों के आंसुओं के नमूनों की नॉर्मल लोगों के आंसुओं के साथ तुलना करके इस बीमारी के बारे में यह महत्वपूर्ण रिजल्ट निकाला गया।


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Posted By: Chandramohan Mishra