अब शराबियों की ग्रेडिंग करेगी सरकार
-कौन कितनी पीता है शराब इसका रहेगा हिसाब
-प्रदेश के सभी जिलों में कराया जा रहा है सर्वेक्षण -अधिक शराब पीने वालों के लिए बनाए जाएंगे डिटेक्शन सेंटर manish.mishra@inext.co.in PATNA : अगर आप पीने के शौकिन हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि प्रदेश में कितने शराबी हैं और कौन कितना पीता है इसकी पूरी जानकारी अब सरकार के पास होगी। कम्प्यूटर के एक क्लिक पर सब कुछ सामने आ जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से सभी जिलों में युद्ध स्तर पर सर्वे किया जा रहा है। शराब के आदी हो चुके लोगों की आदत में कैसे सुधार लाया जा सकता है इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शराबियों की ग्रेडिंग का यह अभियान प्रदेश में शराबबंदी को पूर्ण रूप से प्रभावी बनाने को लेकर है। हर पियक्कड़ की अलग श्रेणीसर्वे में पियक्कड़ों को अलग-अलग श्रेणी में रखा जा रहा है। विभाग की मानें तो तीन श्रेणियां बनाई जा रही हैं। इसमें अधिक पीने वालों को टॉप पर और कम पीने वालों को निचले पायदान पर रखा जा रहा है। तैयार डाटा के हिसाब से फिर आगे का काम किया जाएगा।
कौन होंगे टॉरगेट परटॉप पर आने वाले लोगों को विशेष निगरानी में रखा जाएगा। शासन के टॉरगेट पर रहने वाले इन शराबियों को समझाया बुझाया जाएगा। इसके बाद भी शराब नहीं छोड़ते हैं तो उनके लिए दूसरी योजना पर काम किए जाने की तैयारी है। वैसे शराब छुड़ाने के लिए कई प्रयोग किए जाएंगे।
नहीं मानें तो जाएंगे डिएडिक्शन सेंटर अधिक शराब पीने वाले अगर समझाने बुझाने से नहीं मानें तो उनके लिए हर जिले में डिएडिक्शन सेंटर बनाया जाएगा। उन्हें वहां ले जाया जाएगा और उनपर शराब छुड़ाने के लिए काम किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एक अप्रैल से पहले सभी जिलों में डिएडिक्शन सेंटर खुल जाने हैं। गुरुजी के साथ अन्य कर्मी कर रहे सर्वे सर्वेक्षण में परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों के साथ अन्य कर्मचारियों को लगाया गया है। वह गांव गांव जाकर न सिर्फ सर्वेक्षण कर रहे हैं बल्कि लोगों को शराब से तौबा कराने को लेकर भी प्रयास कर रहे हैं। शासन ने सभी डीएम को गाइड लाइन जारी किया है। वह सर्वेक्षण की मानीटरिंग करा रहे हैं। कितने लोग डिएडिक्शन कैंप में ले जाने लायक हैं इनका निर्धारण भी सर्वे कर्मियों को करना है। हर हथकंडा अपना रही सरकारसरकार शराबबंदी को लेकर कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसी कड़ी में गांव-गांव में जागरुकता कैंप लगाने को कहा गया है। इसमें सबसे अधिक जिम्मेदारी परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की होगी। वह बच्चों के साथ खुद भी लोगों को जागरुक करने का प्रयास करेंगे। जागरुकता के लिए सरकारी भवनों की दीवारों पर श्लोगन भी लिखवाएंगे जो शराब से तौबा करने को प्रेरित करने वाला होगा।