अक्‍सर लोग रिटायरमेंट की प्‍लानिंग के लिए EPF इंप्‍लॉई प्रोविडेंट फंड और NPS नेशनल पेंशन स्‍कीम को लेकर चर्चा करते रहते हैं। उन्‍हें यह नहीं समझ आता है कि भविष्‍य के लिए इन दोनों में कौन सा प्‍लान बेहतर रहेगा। अगर आप भी इसी उलझन में हैं तो परेशान न हो। आइए यहां पर पढ़ें जिससे आज आपको ईपीएफ और एनपीएस का हर अंतर पता चल जाएगा...


निवेश का तरीका: ईपीएफ में सिर्फ सरकारी या फिर संगठित क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारी ही निवेश कर सकते हैं। वहीं एनपीएस में कोई भी आम व्यक्ति जैसे गृहिणी, स्वरोजगार से जुड़े लोग, कारोबारी कोई भी कभी अपना खाता खोल सकता है। निवेश की रकम: ईपीएफ में प्रति माह कर्मचारी की सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा काट लिया जाता है। जब कि एनपीएस में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। बस इतना है कि इसमें एक वर्ष के भीतर कम से कम 6000 रुपये का निवेश करना जरूरी है।निवेश का रिटर्न:
ईपीएफ में रिटर्न पहले से तय होता है। पिछले वित्त वर्ष से 8.75 फीसदी की दर से मिलने वाला ब्याज अब 8.8 फीसदी कर दिया गया है। जब कि एनपीएस पर रिटर्न निश्चित नहीं होता। आंकड़ों के मुताबिक एनपीएस रिटर्न ईपीएफ से 2 से 3 फीसदी ज्यादा मिलता है।निवेश में टैक्स:


ईपीएफ में निवेश से मिलने वाली राशि टैक्स लाभ पहुंचाती है। ईपीएफ की राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री है। जबकि एनपीएस में 40 फीसदी राशि ही टैक्स के बिना निकाली जा सकती है। इसके अलावा 60 फीसदी राशि पेंशन प्लान में निवेश करनी होती है।

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Posted By: Shweta Mishra