- कानून के जानकारों की राय: पुलिस के तथ्यों में नहीं है दम

- बीजेपी ने लगाया एकतरफा कार्रवाई का आरोप

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रुष्टयहृह्रङ्ख: अखिल भारतीय हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश तिवारी पर लगाया गया एनएसए हाईकोर्ट के एडवाइजरी बोर्ड के सामने टिक नहीं सकेगा। कानून के जानकारों की मानें तो पुलिस को भी इसका पूरी तरह भान है लेकिन, बला टालने के लिये यह कार्रवाई की गई है। उधर, बीजेपी ने भी शासन की मंशा पर सवाल उठाते हुए आजम खां के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

यह था मामला

अपने बयानों के लिए हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां से पत्रकारों ने समलैंगिक्ता पर उनके विचार पूछे। आजम ने तपाक से जवाब दिया कि समलैंगिक्ता आरएसएस वालों का विषय है, इसी लिये वे शादी नहीं करते। आजम के इस बयान पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा था कि मदरसा शिक्षक और उलेमा समलैंगिक होते हैं। कमलेश के बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया। सहारनपुर के देवबंद और कई अन्य जगहों पर उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए और एफआईआर भी दर्ज हुई। शांति व्यवस्था बिगड़ने की आशंका में इंस्पेक्टर नाका रामप्रदीप यादव ने आनन-फानन कमलेश तिवारी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने की एफआईआर दर्ज करके अपने ही क्षेत्र में रहने वाले कमलेश तिवारी को अरेस्ट कर लिया। तिवारी के समर्थकों ने तिवारी की जमानत के लिये कोर्ट में अर्जी दाखिल की। पर, कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर ऐतराज जताया। जिसके बाद बुधवार रात कमलेश तिवारी पर रासुका तामील कर दिया गया।

कमजोर है पुलिस की दलील

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि पुलिस के दावों में बिलकुल भी दम नहीं है। कमलेश तिवारी के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी और समुदाय विशेष की भावनाएं आहत करने की एफआईआर दर्ज करना तक तो ठीक था। लेकिन, उनके बयान से न तो कहीं दंगा भड़का और न ही कहीं लॉ एंड ऑर्डर की समस्या ही सामने आई। ऐसे में उन पर रासुका लगाने की बात समझ से परे हैं। एडवोकेट श्रीवास्तव कहते हैं कि रासुका लगाने के लिये पुलिस की दलील हाईकोर्ट एडवाइजरी बोर्ड के सामने टिक न सकेगी।

पुलिस ने बला टाली

लखनऊ बार एसोसिएशन के महामंत्री एडवोकेट सुरेश पांडेय ने बताया कि रासुका बेहद संगीन अपराधों में लिप्त क्रिमिनल या फिर समाज के लिए खतरा बन चुके लोगों पर लगाई जाती है। कमलेश तिवारी का मामला इन दोनों ही कैटेगरी में नहीं आता। पांडेय ने बताया कि इस मामले में सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े होते हैं। दरअसल, यह मामला क्रिमिनल कॉंस्पीरेसी का नहीं बल्कि पॉलीटिकल मोटिवेटेड है। इसीलिए पुलिस ने इस मामले में रासुका लगाकर अपनी बला टाल दी।

आजम खां पर कार्रवाई क्यों नहीं

कमलेश तिवारी की अरेस्टिंग और रासुका तामील होने पर सवाल उठाते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि प्रदेश सरकार के मिनिस्टर आजम खां जब अपनी पार्टी के मुखिया के जन्मदिन को दाउद इब्राहिम जैसे आतंकवादी के रुपयों से मनाने की बात सरेआम कबूल करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। आरएसएस के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने पर भी प्रदेश की सरकार और पुलिस को उनके बयान में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता। ऐसे में महज एक बयान देने पर किसी पर इतनी सख्त कार्रवाई कहां तक वाजिब है।

Posted By: Inextlive