उत्तराखंड में न्यूक्लियर प्लांट लगाने को लेकर पर्यावरणविदों ने जताया विरोध

-केंद्र सरकार तलाश रही है देहरादून में न्यूक्लियर प्लांट के लिए जगह।

-इस तरह के प्लांट से उत्तराखंड का हर हाल में नुकसान: पर्यावरणविद्।

DEHRADUN: केंद्र सरकार द्वारा दून में न्यूक्लियर प्लांट स्थापित करने की मंशा जाहिर करते ही सूबे में विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। पर्यावरणविदें ने केंद्र सरकार की इस कोशिश पर तीखी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। मलसन, न्यूक्लियर प्लांट अगर स्थापित करना जरूरी है, तो सरकार इसे दिल्ली के आस-पास इसे स्थापित करे। पर्यावरणविद् आम जनमानस से भी ये अपील करने लगे हैं कि वह सरकारों के इस तरह के प्रयासों के विरोध में आवाज बुलंद करें।

प्लांट से पर्यावरण को खतरा

केंद्र सरकार अन्य राज्यों के साथ ही देहरादून में भी न्यूक्लियर प्लांट स्थापित करने के लिए जगह तलाश रही है। हालांकि इस संबंध में राज्य सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने दिल्ली में यह जानकारी दी है। इसके बाद, पर्यावरणविदें की तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी हैं। दरअसल, पिछले कुछ सालों में जिस तरह से उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर पॉवर सेक्टर में काम बढ़ा है, उससे पर्यावरण को भारी खतरा पर्यावरणविद् मानकर चल रहे हैं।

पर्यावरणविदें के बोल-अनमोल

केंद्र और उत्तराखंड सरकार के स्तर पर पर्यावरण को लेकर कितनी गलतियां की जाएंगी, आखिर कभी इसका कोई हिसाब होगा। बडे़ बांध, न्यूक्लियर प्लांट जैसे बडे़ प्रोजेक्ट हमारे लिए घातक हैं। इस तरह की जरूरत अन्य राज्यों की हो सकती है, हमारी कतई नहीं है। बहुत ज्यादा प्रगतिवादी सरकार है, तो दिल्ली के आस-पास कहीं लगाए इस प्लांट को।

-पदमश्री डा। अनिल जोशी, पर्यावरणविद्।

प्राकृतिक तरीकों से मिलने वाली ऊर्जा सबसे बेहतर है। जहां तक संभव हो प्राकृतिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाना चाहिए। ये अनुभव रहे हैं और सच्चाई भी, कि विज्ञान आधारित जितने भी इस तरह के प्रोजेक्ट हैं, वे अपने साथ मुसीबत लेकर ही आए हैं। हिमालय ने पिछले कई सालों में इसी तरह के अनुभव किए हैं। लिहाजा बहुत जरूरी न हो, तो उत्तराखंड में इस तरह के कदम नहीं बढ़ाए जाने चाहिए।

-सच्चिदानंद भारती, पर्यावरणविद।

हिमालय को प्रयोगशाला के तौर पर देखा जाना बंद होना चाहिए। इतिहास में जाकर देखें, तो हिमालयी क्षेत्रों ने अपनी जरूरतों को अपने हिसाब से पूरा किया है। मगर वैज्ञानिक तौर पर दोहन की बात कहते हुए जिस तरह की योजनाएं यहां थोपी जा रही है, उससे हिमालय का भला नहीं होगा। परमाणु संयंत्र की उत्तराखंड को कोई जरूरत नहीं है।

-जगत सिंह चौधरी जंगली, पर्यावरणविद्।

Posted By: Inextlive