-टॉयलेट्स निर्माण के रुपए लेकर लापता 4972 लाभार्थियों को ढूंढेगी पुलिस

-19 अक्टूबर तक बरेली को ओडीएफ का एक और खोखला दावा

बरेली: डिस्ट्रिक्ट को ओडीएफ बनाने का काम थानेदार करेंगे। बात सुनने में थोड़ी अजीब जरूर लग रही है, लेकिन यह सौ आना सच है। क्योंकि गांवों में 4972 टॉयलेट्स बनाने के पैसे का बंदरबांट हो गया है। बेईमानी गले अटकी तो जान बचाने के लिए अफसरों ने पैंतरा बदल दिया। उन लाभर्थियों को ढूंढने के लिए पुलिस केस करने जा रहे हैं, जिन्हें उन्होंने मौके पर तस्दीक कर लाभार्थी बनाया था। उनके अकाउंट में टॉयलेट निर्माण के रुपए ट्रांसफर किए थे।

2 अक्टूबर से होना था ओडीएफ

जिले को ओडीएफ बनाने के लिए 2 अक्टूबर का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए सवा लाख टॉयलेट बनाए जाने थे। टारगेट के मुताबिक सभी टॉयलेट्स का बजट भी अवमुक्त कर दिया गया, लेकिन दागदार हाथों स्वच्छ भारत की मुहिम में गंदगी कर दी। कागजों में लाभार्थी के नाम चिह्नित हुए और उन्हें लाभ भी दे दिया गया। नतीजा यह हुआ 4972 टॉयलेट टारगेट में कम पड़ गए। ओडीएफ की फांस गले में फंसी तो अफसरान एक्टिव हो गए।

एफआईआर की कर रहे बात

अफसरों का कहना है कि ओडीएफ में बाधा बने लाभार्थी यदि तुरंत टॉयलेट नहीं बनवाए, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। लाख टके का सवाल यह है कि अधिकारी क्या इस तरह 19 अक्टूबर तक बरेली को ओडीएफ करा पाएगी। क्योंकि पुलिस यदि एफआईआर दर्ज करती है, तो उसे तफ्तीश करने और लापता लाभार्थियों को ढूंढने और फिर टॉयलेट बनाने में भी वक्त लगेगा।

किस ब्लॉक में कितने जालसाज पता नहीं

प्रभारी मंत्री के सामने डीपीआरओ ने डिस्ट्रिक्ट को 19 अक्टूबर तक ओडीएफ बनाने की हां तो कर दी, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि डीपीआरओ को खुद इस बात का पता नहीं है कि किस ब्लॉक में कितने लाभार्थी रुपए लेकर भागे हैं। ऐसे में, सबसे बड़ा सवाल है कि किस आधार पर डीपीआरओ एफआईआर कराएंगे।

मझगवां ब्लॉक सबसे पीछे

जनपद में 15 ब्लाूक हैं। इनमें से एक ब्लॉक नगर पंचायत क्षेत्र में शामिल है। जिस कारण से 14 ब्लाकों में ओडीएफ के लिए टॉयलेट बनने थे। इनमें से किसी भी ब्लॉक में टॉयलेट का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है।

टॉयलेट का पैसा लेकर निर्माण कार्य न कराने की लिस्ट में मझगवां के लाभार्थियों की संख्या 14 ब्लाकों में सबसे अधिक है। यह संख्या कितनी है इसकी लिस्ट अभी तक ब्लॉक में भी नहीं तैयार है।

बाहर गए लोगों के खाते में डाला गया पैसा

टॉयलेट निर्माण में देरी होने का मुख्य कारण यह भी है कि ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी ने अपने पसंदीदा लोगों को पात्र बनाया। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो दिल्ली, मुम्बई, सूरत व अन्य दूसरे राज्यों में नौकरी करने के लिए गए हैं।

वर्जन----

पैसा लेकर टॉयलेट न बनवाने वालों को नोटिस भेजी जा रही है। नोटिस मिलने के बाद कई लोगों ने टॉयलेट निर्माण शुरु करा दिया है। इसके अलावा जिन लोगों ने अभी तक निर्माण नहीं शुरू किया है। उसके लिए पुलिस प्रशासन की मदद ली जाएगी।

सत्येंद्र कुमार, मुख्य विकास अधिकारी बरेली

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किस ब्लॉक में कितने लाभार्थी रुपए लेकर भागे हैं, इसकी सूची विभाग के पास नहीं है। टॉयलेट का निर्माण करने में लापरवाही करने वालों पर अब कानूनी कार्रवाई होगी। इसके लिए थानेदारों का भी सहयोग लिया जाएगा। 19अक्टूबर तक टॉयलेट बनाने का प्रयास है।

विनय कुमार सिंह, डीपीआरओ, बरेली

Posted By: Inextlive