जाको राखे साईयां मार सके ना कोई ये कहावत तो आप ने कई बार सुनी होगी पर इसे सच कर दिखाया है ओडिशा के केंद्रपारा जिले की दो नन्‍ही मासूम बच्चियों ने। जनाब छह साल की एक बच्‍ची अपनी सहेली की जान बचाने के लिये मगरमच्‍छ से जा भिड़ी। इतना ही नहीं अपनी सहेली को मगरमच्‍छ के जबड़ों से बचा भी लाई। गंभीर हालत में गांव वालो ने लड़की को नजदीकी अस्‍पताल में भर्ती करवाया है। लड़की के शरीर पर कई घाव हैं। डॉक्‍टरों ने उसकी हालत नाजुक बताई है।

ओडिशा के केंद्रपारा जिले की है घटना
ओडिशा के केंद्रपारा जिले में एक 6 साल की बच्ची अपनी दोस्त को बचाने के लिए मगरमच्छ से भिड़ गई। जिंदगी और मौत से लड़ रही बसंती दलाई बनकुआला गांव के सरकारी स्कूल में क्लास फर्स्ट की स्टूडेंट है। टिकी भी बसंती के साथ पढ़ती है। बसंती का सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। उसने अपनी दोस्त टिकी दलाई को मगरमच्छ के जबड़े से बचाया। पीड़िता के हाथ और जांघ में कई जगह पर घाव है। अब वो खतरे से बाहर है। दोनों लड़कियां मंगलवार को गांव के तलाब में स्नान कर रही थी। इसी दौरान तलाब में एक मगरमच्छ आ गया और उसने अचानक बसंती पर हमला कर दिया। बसंती की दोस्त टिकी ने हिम्मत दिखाते हुए छड़ी से मगरमच्छ के सिर पर वार किया। जिसके बाद उसने बसंती को तुरंत छोड़ दिया। लड़की को छोड़ने के बाद मगरमच्छ वापस पानी में चला गया।
एक लकड़ी से बचाई सहेली की जान
टिकी ने कहा कि हमला इतना अचानक हुआ कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या करें। तलाब के पास पड़ी हुई लकड़ी ने मेरे दोस्त की जान बचाई। वन विभाग ने मगरमच्छ के हमले में घायल हुई लड़की के इलाज का खर्च वहन करने की जिम्मेदारी ली है। बिमल प्रन्ना डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर ने कहा कि नियम के मुताबिक घायल के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। 6 साल की बच्ची द्वारा दिखाए गए अद्भुत साहस की लोग तारीफ कर रहे हैं। बच्ची अपनी जान की परवाह किए बिना दोस्त की जान बचाने के लिए आगे आ गई। मगरमच्छ तालाब में है या फिर वन विभाग ने उसे बाहर निकल लिया है। इस बात का पता नहीं चल सका है।

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Posted By: Prabha Punj Mishra