Meerut : सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर जनहित में कई अहम फैसले दिए. चाहे पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग पर रोक हो या पॉलिथीन पर बैन का. शिक्षा का अधिकार की बात हो या स्कूल बसों को लेकर गाइड लाइन हों. एसिड की खुलेआम सेल पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया. लेकिन क्या ये ऑर्डर जमीन पर उतर पाए. कम से कम सिटी में तो ऐसा नहीं है. सरल शब्दों में कहें तो सिटी में सुप्रीम कोर्ट का अवमानना हो रही है. यह केवल पब्लिक के स्वास्थ्य या सुरक्षा का ही मसला नहीं है यहा खुद में एक बड़ा सवाल है कि देश के सर्वोच्च संस्था के निर्देशों को ही की ही जब अवहेलना होगी तो फिर आम लोगों की कहां सुनी जाएगी? आइए आपको भी बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट पब्लिक हित में कौन-कौन महत्वपूर्ण फैसले दिए और अपने सिटी में उनका क्या हुआ..


क्या सच में लगी पॉलिथीन पर रोक29 जनवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने साफ आदेश दिया था कि समाज के लिए पॉलिथीन काफी नुकसानदायक है। इस पर पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए। ये पूरे देश के लिए था, लेकिन फैसले को आजतक फॉलो नहीं किया गया। बात मेरठ सिटी की करें तो, सिटी में हर सामान पॉलीथीन में बिक रहा है। दूध से लेकर नमकीन, बिस्किट, चिप्स कई खाने पीने के सामान बिक रहे हैं। आखिर क्यों जरूरी है बैन? - पॉलिथीन के न गलने से पर्यावरण को नुकसान। - सीवरेज सिस्टम को ब्लॉक कर देता है। - पशु इसे खाकर पड़ रहे हैं बीमार। नहीं रूका सार्वजनिक स्थल पर धुम्रपान
30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान न करने के ऑर्डर का आज तक अनुपालन नहीं हो सका है। सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान करने पर 200 रुपए तक जुर्माना है। फिर आज तक इस पर इंप्लीमेंट नहीं कराया जा सका। मेरठ सिटी में सार्वजनिक स्थलों पर लोगों का स्मोकिंग करते देखा जा सकता है। ताज्जुब की बात तो ये हैं कि सिटी में कई साइट हैरीटेज हैं। जहां लोग मर्जी से धुम्रपान करते है। आखिर क्यों जरूरी है? - पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।


- साथ में खड़े होने वाले व्यक्ति को पीने वाले से ज्यादा नुकसान होता है। - सार्वजनिक स्थलों पर सिर्फ व्यस्क ही नहीं, बच्चे भी होते हैं। धुम्रपान करने वालों से बच्चों पर भी गलत असर पड़ता है।खुलेआम बिक रहा तेजाब  18 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि एक सप्ताह में तेजाब की बिक्री संबंधी मॉडल रूल्स राज्यों को भेजें। राज्य सरकारें उसी आधार पर तीन महीने में नियम कानून बनाएं। इन आदेशों के बाद भी अभी तक जिले में तेजाब बिक्री को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज भी बिना लाइसेंस लिए किराना दुकानों पर तेजाब धड़ल्ले से बिक रहा है। आखिर क्यों जरूरी है? - एसिड अटैक में काफी कमी आएगी। - इलीगल तेजाब बनाने के कारखाने बंद होंगे।- तेजाब का उत्पादन कम हो जाएगा। कैसे मिले शिक्षा का अधिकारशिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुए करीब 3 वर्ष से ऊपर बीत चुके हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हर प्राइवेट शिक्षण संस्थान को 25 फीसदी गरीब बच्चों के एडमीशन करने का प्रावधान है। इस नियम का पालन हर शिक्षण संस्थान में सख्ती से होना चाहिए। इसके बाद भी सिटी के तमाम संस्थान एडमीशन के दौर में इस नियम को रौंद डालते हैं।

आखिर क्यों जरूरी है?  सभी बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार प्राप्त हो सके।- कोई भी बच्चा रुपयों की वजह से शिक्षा से वंचित न रह सके।- प्राइवेट शिक्षण संस्थान समाज के अभिजात्य वर्ग के महज क्लब न बनकर रह जाएं। बेलगाम स्कूली वाहन 2011 में अंबाला में जब स्कूल बस का एक्सीडेंट हुआ था और उसमें एक दर्जन से ज्यादा मासूम बच्चे मारे गए थे। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ रूलिंग्स बनाकर पूरे देश में लागू करने को कहा था। अगर कोई लागू नहीं करता है तो उसपर संबंधित अधिकारी को कार्रवाई करने की पॉवर भी थी, लेकिन सिटी में आज तक स्कूल बसों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी। बल्कि उन रूलिंग्स की लगातार धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।आखिर क्यों जरूरी है? - ताकि स्कूल बसों में जाने वाले बच्चे सुरक्षित रह सके। - बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदार व्यक्ति की जिम्मेदारी तय हो सके। - कोई भी दुर्घटना के होने पर जिम्मेदार व्यक्ति और प्रशासन को दंडित किया जा सके।
"तमाम आदेशों के अनुपालन का प्रयास किया जा रहा है। धीरे-धीरे पूरे जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन कर दिया जाएगा। जिसका असर जल्द देखने को मिलेगा."    - नवदीप रिणवा, डीएम

Posted By: Inextlive