-बेहतर स्वास्थ्य सेवा के दावों की खुली पोल, कार्रवाई से कतरा रहे जिम्मेदार

-स्वास्थ्य विभाग के पास एम्बुलेंस वाहनों की संख्या का नहीं है ब्यौरा

GORAKHPUR:

बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। गोरखपुर की सड़कों पर दौड़ रही कंडम एम्बुलेंस सेवा के कारण मरीजों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। हैरानी इस बात की है कि स्वास्थ्य विभाग के पास एम्बुलेंस की सही संख्या का कोई भी ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। दूसरी ओर जिम्मेदार इनके खिलाफ कार्रवाई से भी कतरा रहे हैं।

फेल हो रहा दावा

मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए सरकार ने फ्री सेवाओं के जरिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा किया है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इन एम्बुलेंस को वरदान बताया गया। लेकिन इन एम्बुलेंसों के जरिए बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के सरकारी दावों की हकीकत चौंकाने वाली है। जिन एंबुलेंस के जरिए सरकारें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का दम भर रही हैं। असलियत में वे खुद बीमार हैं। शहर में एंबुलेंस के रूप में जर्जर व खस्ताहाल वाहनों का संचालन हो रहा है। इसके कारण वे मरीजों की सेवा के बदले उनके स्वास्थ्य के साथ खेल रहे हैं। खटारा एम्बुलेंस के चलते संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य और ट्रैफिक विभाग के संरक्षण के कारण शहर में खटारा एम्बुलेंस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर में सैकड़ों की संख्या में वाहनों का संचालन एम्बुलेंस के नाम पर हो रहा है लेकिन इनका सही ब्यौरा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। इनमें बड़ी संख्या में जर्जर व कंडम हालत में पहुंच चुके चार पहिया वाहन भी शामिल हैं।

नहीं है गाइडलाइन तय

सिटी में एम्बुलेंस का संचालन बिना आक्सीजन सिलेंडर और आवश्यक जीवनरक्षक उपकरणों के हो रहा है। इन वाहनों से गंभीर मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट भी किया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम्बुलेंस वाहनों के लिए इंस्ट्रलाइजेशन विसंक्रमित करने की गाइड लाइन नहीं तय है। जिसकी वजह से इन एम्बुलेंस का उपयोग करने वाले मरीज व उनके परिजन संक्रामक बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

बिना सफाई करते उपयोग

शहर में एम्बुलेंस का संचालन करने वालों के लिए जनहित को ध्यान में रखते हुए कोई मानक तय नहीं किए गए हैं। जिसके कारण बिना सफाई-धुलाई के इनका उपयोग मरीजों के लिए होता रहता है।

अस्पतालों के बाहर प्राइवेट का जमावड़ा

जिला अस्पताल, महिला अस्पताल हो या बीआरडी मेडिकल कॉलेज यहां सैकड़ों प्राइवेट एंबुलेंस का जमावड़ा लगा रहता है। स्वास्थ्य विभाग हर बार इन एम्बुलेंस संचालकों पर कार्रवाई का दावा करती है। लेकिन फिर भी यह धड़ल्ले से चल रही है। विभाग की ओर से इन पर कोई रोक-टोक नहीं है।

फैक्ट फिगर

102 एम्बुलेंस--50

108 एम्बुलेंस-30

एएलएस एम्बुलेंस-02

बैंक में एम्बुलेंस--01

प्राइवेट एम्बुलेंस--1000

सरकारी एम्बुलेंस-10

वर्जन-

वर्कशॉप में एम्बुलेंस की सफाई व धुलाई कराई जाती है। जहां तक प्राइवेट एम्बुलेंस का सवाल है तो विभाग के पास इसका कोई ब्यौरा नहीं है। अगर कहीं भी गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो उसकी जांच कराई जाती है।

डॉ। नंद कुमार, प्रभारी सीएमओ

Posted By: Inextlive