टोक्यो ओलंपिक की शुरुआत होने में अब सिर्फ 10 हफ्ते बचे हैं। पिछले साल इसे कोरोना महामारी के चलते टाल दिया गया था मगर इस बार जापान खेलों के महाकुंभ को हर हाल में आयोजित करवाना चाहता है। हालांकि वहां रहने वाले लोग अभी भी इसके फेवर में नहीं हैं।

टोक्यो (एएनआई)। एक नए सर्वे से पता चला है कि 80 प्रतिशत से अधिक जापानी लोग चाहते हैं कि इस साल भी ओलंपिक न हो, जबकि इसकी शुरुआत होने में अस 10 सप्ताह बचे हैं। टोक्यो में होने वाले ओलंपिक को पिछले साल COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। द जापान टाइम्स के अनुसार, नवीनतम सर्वे जापान द्वारा COVID-19 संक्रमण की चौथी लहर के बीच शुक्रवार को आपातकाल की स्थिति का विस्तार करने के बाद आया है, जिसने देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव डाला है, और चिकित्सा पेशेवरों ने बार-बार कमी के बारे में चेतावनी दी है।

ओलंपिक का आयोजन हो या नहीं
सर्वे में पाया गया कि 43 प्रतिशत उत्तरदाता चाहते हैं कि खेल रद्द हो जाएं और 40 प्रतिशत देश में कोरोना वायरस की स्थिति के कारण इसे आगे स्थगित करना चाहते हैं। खेलों को निर्धारित समय के अनुसार आयोजित करने में केवल 14 प्रतिशत का समर्थन है, जो पिछले महीने एक अन्य सर्वेक्षण में दर्ज 28 प्रतिशत से कम था। 1,527 लोगों के सर्वेक्षण से पता चला है कि यदि ओलंपिक का आयोजन होता है, तो 59 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे कोई दर्शक नहीं चाहते हैं, 33 प्रतिशत लोग कम दर्शक संख्या और केवल तीन प्रतिशत लोग फुल हाउस चाहते हैं।

जापान में फैला है कोरोना
द जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को प्रकाशित क्योडो न्यूज के एक अलग सर्वेक्षण से पता चला कि 59.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने रद्दीकरण को वापस कर दिया, हालांकि आगे के स्थगन को एक विकल्प के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया था। सर्वेक्षण में पाया गया कि 87.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं को चिंता है कि विदेशों से एथलीटों और स्टाफ सदस्यों की आमद से वायरस फैल सकता है। बता दें टोक्यो ओलंपिक 23 जुलाई से शुरु हो रहा है। जबकि पैरालिम्पिक्स 24 अगस्त से शुरू होने वाले हैं।

टोक्यो में कोरोना महामारी अभी चरम पर
रिपोर्ट में कहा गया कि टोक्यो में कोरोना महामारी अभी चरम पर है। बढ़ते हुए कोविड​​​​-19 मामलों के कारण, उपलब्ध अस्पताल के बिस्तरों को खोजने में कठिनाई के कारण घर पर अधिक रोगियों की मृत्यु हो रही है। नए वेरिएंट के प्रसार और टीकाकरण की धीमी प्रक्रिया के कारण स्थिति बिगड़ गई है। सरकार अपने टीकाकरण अभियान की गति को तेज करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसने देश की 126 मिलियन की पूरी आबादी के लगभग तीन प्रतिशत को कम से कम एक शॉट दिया है, जो विश्व औसत से लगभग नौ प्रतिशत से बहुत पीछे है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari