- सेवानिवृत्त जिला जज, पूर्व कुलपति या फिर दस वर्ष का अनुभव रखने वाला ऐसा प्रोफेसर होंगे लोकपाल

- अभी तक एकेटीयू की शिकायत एलयू के पास भेजी जाती थी

LUCKNOW :

इंजीनिय¨रग व मैनेजमेंट कॉलेजों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स की शिकायतों की सुनवाई अब लोकपाल करेंगे। अब अधिक फीस वसूलने, डिग्री व मार्कशीट देने में आनाकानी करने, छात्रवृत्ति और कॉशनमनी न देने की समस्याएं लेकर भटक रहे स्टूडेंट्स को तय समय पर न्याय मिलेगा। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने स्टूडेंट्स शिकायत निवारण अधिनियम 2019 तैयार कर लिया है और इसे जल्द लागू किया जाएगा। इस अधिनियम के लागू होते ही इंजीनिय¨रग कॉलेजों पर मजबूत शिकंजा कस जाएगा।

यूनिवर्सिटी नियुक्ति करेगा लोकपाल

एआइसीटीई के सदस्य सचिव प्रो। आलोक प्रकाश मित्तल की ओर से सभी संस्थानों से इस अधिनियम के लिए और सुझाव भेजने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल स्टूडेंट्स शिकायत निवारण अधिनियम 2019 में स्टूडेंट्स की शिकायतें सुनने के लिए लोकपाल नियुक्त करने का प्रावधान रखा गया है। लोकपाल के तौर पर सेवानिवृत्त जिला जज, पूर्व कुलपति या फिर दस वर्ष का अनुभव रखने वाला ऐसा प्रोफेसर जो पूर्व में डीन जैसे पद पर काम कर चुका हो, उसे यूनिवर्सिटी नियुक्त करेगा। लोकपाल का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। सभी शिकायतें ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही दर्ज होंगी।

कॉलेज के स्तर से शिकायत की जांच न होने पर लोकपाल से करेंगे शिकायत

स्टूडेंट्स पहले शिकायत कॉलेज स्तर पर गठित स्टूडेंट्स शिकायत निवारण कमेटी से करेगा। यह कमेटी 15 दिन में उसकी शिकायत का निस्तारण करेगी। अगर स्टूडेंट्स इससे सहमत नहीं है तो वह शिकायत लोकपाल से करेगा। लोकपाल स्टूडेंट्स की शिकायत पर सुनवाई कर 30 दिन के अंदर निर्णय सुनाएंगे। अगर स्टूडेंट्स को परेशान किए जाने की शिकायत सही निकली तो लोकपाल द्वारा कॉलेजों की ग्रांट रोकने या फिर मान्यता ात्म करने का आदेश जारी किया जाएगा और इसे एआइसीटीई लागू करवाएगा। यही नहीं लोकपाल द्वारा सुनाए गए आदेश को एआइसीटीई न सिर्फ वेबसाइट पर प्रदर्शित करेगी बल्कि इसे मीडिया के माध्यम से प्रचारित प्रसारित किया जाएगा ताकि संस्थानों की हकीकत सबके सामने आ सके।

आईजीआरएस पोर्टल की शिकायत एकेटीयू के पास भेजी जाती थी

वहीं एकेटीयू अभी तक आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज संस्थाओं के नामों की लिस्ट में शामिल नहीं हैं। ऐसे में एकेटीयू से सम्बद्ध किसी भी संस्थान की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर आने पर उस शिकायत को विभाग लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलसचिव को जांच के लिए भेज देता था। ऐसे में कई बार एलयू के ओर से इसकी शिकायत सम्बन्धित अधिकारियों तक से की जा चुकी थी। वहीं शिकायतों के निपटारा न होने के कारण स्टूडेंट्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

Posted By: Inextlive