अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर में शहर का कूड़ा साफ होगा। पहले फेज में सिटी के 6 स्थानों को किया गया चिह्नित...

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VARANASI: स्मार्ट सिटी बनारस की साफ-सफाई स्मार्ट तरीके से होने वाली है. यहां सड़कों पर फैलने वाले कूड़ों को गुजरात मॉडल पर साफ कराया जाएगा. शहर को गंदगी से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने एक स्मार्ट प्लान तैयार किया है, जो गुजरात मॉडल पर बेस्ड है. योजना के तहत जमीन के ऊपर रखे जाने वाले अपशिष्ट कॉम्पैक्टर जमीन के अंदर होंगे. जिससे कूड़ा ओवरफ्लो होकर सड़क पर नहीं बिखरेगा.

पहले फेज में हेरिटेज प्लेस
बनारस की खूबसूरती में रोड़ा बने कूड़ा को जमीन से हटाने के लिए नगर निगम की ओर से पूरे शहर में फेज वाइज अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाया जाएगा. फ‌र्स्ट फेज में छह स्थानों को चिह्नित किया गया है. ये सभी स्थान हेरिटेज महत्व के हैं. इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र, गंगा घाट, गोदौलिया, सारनाथ, बीएचयू आदि शामिल हैं. इन क्षेत्रों में योजना को आकार देकर नगर निगम ट्रायल करेगा. इस पर करीब 65 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है.

अलग जमीन की नहीं जरूरत
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश पर प्रस्तावित अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाने के लिए सड़क किनारे अलग से जमीन की जरूरत नहीं होगी. किसी दुकान, प्रतिष्ठान व मकान के सामने रखने को लेकर किचकिच भी नहीं होगी. अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर को फुटपाथ पर ही जमीन के नीचे स्थापित किया जा सकता है. जो आने-जाने में बाधक भी नहीं बनेगा.

गुजरात से लिया आइडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने सूरत शहर में कचरा प्रबंधन के लिए पहली बार अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगवाया था. इसका मकसद सड़क पर कचरा फैलने से रोकने और उठते दुर्गध को भी दूर करना था. क्योंकि राह चलते जमीन पर रखे कॉम्पैक्टर के पास से गुजरने पर दुर्गध आती है. आसपास कचरा भी फैला रहता है. जिससे शहर की तस्वीर धूमिल होती है.

16 टन क्षमता का कॉम्पैक्टर
एक कॉम्पैक्टर पिट की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई करीब 16 क्यूबिक मीटर होगी. इसमें मैक्सिमम 16 मीट्रिक टन कचरा स्टोर किया जा सकता है. जैसे ही कॉम्पैक्टर में कूड़ा फुल होगा, वह जमीन के अंदर खुद ब खुद चला जाएगा.

कूड़ा निकालने की नहीं जरूरत
निस्तारण के लिए अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर से कूड़ा निकालने की जरूरत नहीं होगी. कूड़ा निकलने के बजाए बंद कॉम्पैक्टर हाइड्रोलिक मशीन से बाहर निकलेगा, जो ऑटोमेटिक तरीके से ट्रक ट्रॉली पर सवार हो जाएगा. फिर गारबेज ट्रीटमेंट प्लांट में जाकर खाली होगा.

सिटी कमांड सेंटर से कनेक्ट
नगर निगम ने यह पहल स्मार्ट सिटी अभियान के तहत की है. इन गारबेज अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर में एक सेंसर लगा रहेगा, इसका कनेक्शन सिटी कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से होगा. जैसे ही यह कॉम्पैक्टर 70 फीसद तक भर जाएगा, सेंसर कमांड सेंटर को सिग्नल भेज देगा ताकि कॉम्पैक्टर को खाली किया जा सके.

ये होगी चुनौती

-बनारस में स्मार्ट प्लान के तहत पहले भी नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण और साफ-सफाई को लेकर कई योजनाएं बनाई

-कर्मचारियों की लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के चलते योजनाएं सफल नहीं हो सकीं.

-भूमिगत कॉम्पैक्टर में सबसे बड़ी चुनौती इसके देखरेख और मेंटेनेंस की है.

-पहले ही निगम के दर्जनों नॉर्मल कॉम्पैक्टर मेंटेनेंस के अभाव में दम तोड़ रहे हैं

-शहर के लोगों की आदत डस्टबिन में कूड़ा डालने की नहीं है इससे शहर को साफ रखना चुनौती बन जाती है

-जब और जहां दिल किया कूड़ा डाल देने की आदत ने पहले ही तमाम योजनाओं को फेल किया है

क्या होगा फायदा

-भूमिगत कॉम्पैक्टर के लिए अलग से जमीन का इंतजाम नहीं करा होगा

-कूड़ा भरने पर कॉम्पैक्टर जमीन के अंदर चला जाएगा जिससे शहर की खूबसूरती प्रभावित नहीं होगी

-भूमिगत कॉम्पैक्टर से सड़क पर गंदगी नहीं फैलेगी

-कूड़ा की बदबू से पब्लिक को नहीं होना पड़ेगा परेशान

-पशु कूड़े तक नहीं पहुंच पाएंगे इससे उनकी सेहत खराब होने से बच जाएगी

क्लीन व ग्रीन काशी का स्मार्ट प्लान बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाए जाने की तैयारी है. इस दिशा तेजी से काम हो रहा है. जिसकी शुरुआत जल्द ही होने की उम्मीद है.

आशुतोष कुमार द्विवेदी, नगर आयुक्त

एक नजर

06

स्थानों पर लगेंगे कॉम्पैक्टर फ‌र्स्ट फेज में

65

लाख होगा खर्च

16

टन होगी एक कॉम्पैक्टर की क्षमता

70

प्रतिशत कूड़ा भरने पर देगा सिग्नल

150

नॉर्मल कॉम्पैक्टर मौजूद हैं अभी शहर में

2000

डस्टबिन लगाए गए हैं अलग-अलग जगहों पर

650

मीट्रिक टन कूड़ा होता प्रतिदिन शहर में

Posted By: Vivek Srivastava