भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज के नाम से भी पुकारा जाता है। यह उत्सव कहीं-कहीं सिर्फ तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव श्रावण मास की शुक्ल पक्ष को मनाए जाने वाली तीज की तरह मनाया जाता है। इस बार यही कजरी तीज 18 अगस्त 2019 को पड़ रही है...


यह पर्व उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। वहीं ये खासकर बनारस तथा मिर्जापुर में विशेष रूप से मनाया जाता है। इसे कजरी या विवाह गीत की प्रशंसा भी होती है। प्रायः लूनर पर चढ़कर कजरी तीज के गीत गाते हैं और यह वर्षा ऋतु का एक विशेष राग है। यह प्रमुख वर्षा गीत माना जाता है और इस दिन झूला भी पड़ता है। घरों में विभिन्न तरह के पकवान मिष्ठान बनाए जाते हैं। 7 गायों को आटे की लोई बनाकर खिलाते हैं
इस तीज में 7 गायों के लिए आटे के साथ लोई बनाकर के खिलाते हैं। इसके बाद ही भोजन करते हैं। बहुएं इस त्योहार पर अपनी सास के चरण स्पर्श करती हैं। खासकर नर्सरी वैश्य समाज के लोग जो गेहूं चने और चावल के सत्तू में घी मेवा डालकर के भिन्न-भिन्न तरह के पकवान बनाते हैं।चंद्रोदय के बाद उसी का भोजन करते हैं। कहीं-कहीं तो कजरी तीज पर सिंघाणे भी आते हैं। बहुएं सास को चीनी तथा रुपए का बाेयना निकाल कर देती हैं।इस दिन विशेष रूप से गायों की पूजा की जाती है। आटे की सात गोलियां बनाकर उस पर भी गोरख गाय को खिलाने के बाद ही भोजन किया जाता है।-ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma