पूर्व भारतीय क्रिकेटर और भारत को पहला वर्ल्डकप जितवाने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव का आज 62वां जन्मदिन है। कपिल की अगुआई में टीम इंडिया साल 1983 में पहली बार विश्व चैंपियन बनी थी। आइए उस वर्ल्डकप फाइनल की यादें ताजा करते हैं और जानते हैं कि कैसे भारत पहली बार जीता था वर्ल्डकप।

नई दिल्ली (एएनआई)। बतौर कप्तान टीम को वर्ल्डकप दिलाने का सपना सभी का होता है। भारत के दिग्गज कपिल देव इस मामले में खुशकिस्मत हैं कि उन्हें न सिर्फ वर्ल्डकप में टीम इंडिया की कमान संभालने का मौका मिला बल्कि भारत को विश्व चैंपियन भी बनाया। 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में जन्में कपिल देव भारतीय क्रिकेट की शान हैं। जैसा कि दिग्गज भारतीय ऑलराउंडर आज अपना 62 वां जन्मदिन मना रहे हैं, आइए जानें कि कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय टीम कैसे 1983 के विश्व कप के फाइनल में लॉर्ड्स में वेस्टइंडीज जैसी टीम को हराने में कामयाब रही।

भारत ने 43 रनों से जीता था वर्लडकप फाइनल
यह 25 जून, 1983 का दिन था, जब भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराकर अपना पहला क्रिकेट विश्व कप खिताब जीता था। भारत के विश्व कप फाइनल में प्लेइंग इलेवन में सुनील गावस्कर, के श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, एसएम पाटिल, कपिल देव, कीर्ति आजाद, रोजर बिन्नी, मदन लाल, सैय्यद किरमानी और बलविंदर संधू शामिल थे। वेस्टइंडीज ने टाॅस जीतकर भारत को पहले बैटिंग का न्यौता दिया। कपिल देव की अगुवाई वाली टीम इंडिया सिर्फ 183 रन बनाने में सफल रही। वेस्टइंडीज की तरफ से एंडी रॉबर्ट्स ने तीन विकेट लिए जबकि मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग और लैरी गोम्स ने दो-दो विकेट चटकाए। भारत के लिए, क्रिश श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए, उनके अलावा कोई अन्य बल्लेबाज 30 रन के स्कोर से आगे नहीं बढ़ पाया।

9031 intl. runs 💪
687 intl. wickets ☝️
First player to take 200 ODI wickets 👌
Only player to pick over 400 wickets & score more than 5000 runs in Tests 👊
Wishing @therealkapildev - #TeamIndia's greatest all-rounder and 1983 World Cup-winning Captain - a very happy birthday 👏 pic.twitter.com/75lmx0gin2

— BCCI (@BCCI) January 6, 2021

140 रन पर ऑलआउट हुई विंडीज
विंडीज जैसी टीम के सामने 183 का बचाव करना आसान नहीं था। मगर मदन लाल ने जैसे ही उनके प्रमुख बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स (33) को आउट किया, विपक्षी टीम दबाव में आ गई। उस वक्त विंडीज का स्कोर 57/3 था। देखते ही देखते कैरेबियाई टीम ने 76 रन पर 6 विकेट गंवा दिए और भारत जीत की ओर बढ़ गया। मोहिंदर अमरनाथ ने माइकल होल्डिंग का अंतिम विकेट लेकर भारत को पहली बार विश्व कप का खिताब दिलाया। फाइनल में, वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन पर ऑल आउट हो गई। इसके परिणामस्वरूप भारत ने 43 रनों से मैच जीत लिया।

जब जिंबाब्वे के खिलाफ अकेले जिताया मैच
फाइनल में, मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच चुना गया क्योंकि उन्होंने बल्ले से 26 रन बनाए और गेंद के साथ तीन विकेट भी लिए। इससे पहले 1983 विश्व कप में, जिम्बाब्वे के खिलाफ ग्रुप-स्टेज मैच में, कपिल देव ने अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए क्रिकेट के इतिहास में सबसे यादगार पारियों में से एक खेली थी। जो कहीं रिकाॅर्ड नहीं हो सकी। जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में, भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का विकल्प चुना। टीम इंडिया ने 17 रन पर 5 विकेट गंवा दिए थे। सुनील गावस्कर, के श्रीकांत और मोहिंदर अमरनाथ जैसे बड़े बल्लेबाज फेल रहे।

175 रन की वो विस्फोटक पारी
रोजर बिन्नी ने कपिल देव को थोड़ा समर्थन प्रदान किया क्योंकि दोनों ने मिलकर 60 रन बनाए, लेकिन बिन्नी भी 22 रन बनाकर आउट हो गए और भारत का स्कोर 77 रन पर 6 विकेट हो गया। वहां से, कपिल देव ने जिम्मेदारी संभाली और धुआंधार बैटिंग करनी शुरु कर दी। ऑलराउंडर ने अंततः 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से 175 रन बनाए, जिससे भारत 266 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंच सका। यह कपिल देव की पारी थी भारत ने यह मैच 31 रनों से जीता था।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari