पथरचट्टी परिसर में चल रही राम कथा के पांचवें दिन कथा व्यास पंडित दिनेश कुमार मिश्रा ने बखानी महिमा

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PRAYAGRAJ: श्री रामचरित मानस सम्मेलन समिति व श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में चल रही नौ दिन सुनिए रामकथा के पांचवें दिन जौनपुर से आए कथा व्यास पंडित दिनेश कुमार मिश्रा ने प्रभु श्रीराम की महत्ता का बखान किया। उन्होंने बताया कि राम हमारी संस्कृति के प्रतीक हैं और सदाचरणों के लिए प्रेरणा मूर्ति भी। राम ना किसी वंश के हैं और न किसी संप्रदाय के। अयोध्या के लोग राम के आचरण पर रीझे थे तो मिथिला व जनकपुर के लोग राम का चलना, बोलना, हंसना देखकर ही प्रसन्न हो गए थे।

लगा जय श्रीराम का जयकारा

मंच पर जालौन से आई अखिलेश्वरी देवी और पंडित मदन मोहन मिश्रा ने रामकथा की संगीतमयी प्रस्तुति के दौरान दोनों हाथ उठाकर भक्तों से जय श्रीराम का जयकारा लगवाया। पंडित कृष्ण देव मिश्रा ने राम नाम जप की महत्ता पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष लल्लू लाल गुप्ता सौरभ ने की। इस मौके पर मुकेश कुमार पाठक, धर्मेन्द्र कुमार, राजीव गुप्ता आदि समिति पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

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ईश्वर को पाने के चार साधन : डॉ। अनिरूद्ध महाराज

दिव्य अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन की ओर से मुंशीराम प्रसाद की बगिया में चल रही रामकथा के तीसरे दिन डॉ। अनिरूद्ध महाराज ने ईश्वर को पाने के चार साधनों का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से एक मनुष्य जब रोगी होता है तो चिकित्सक की खोज करता है और जिस चिकित्सक से उसे लाभ होता है। वह उसी को मानने लगता है। ठीक इसी प्रकार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए चार प्रकार हैं। ज्ञान, भक्ति, कर्म और शरणागति। भले ही चारों में भिन्नता हो लेकिन लक्ष्य एक ही है। वह है ईश्वर की प्राप्ति। इस मौके पर कुमार नारायण, राजेश केसरवानी, नीरज गुप्ता, प्रतीक केसरवानी, अशोक सिंह आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive