- माइंड फ्रेश करने के लिए दोस्तों के साथ मोबाइल पर गपशप तो पूरे परिवार संग कर रह एक्सरसाइज

LUCKNOW: ना मार्निग वॉक, ना शाम को अड्डेबाजी। लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में कैद हैं। इस लॉकडाउन के दौरान टाइमपास करने के लिए लखनवाइट्स ने शेड्यूल बना लिया है, जिससे कब उनका दिन इन दिनों गुजर जाता है, उन्हें पता ही नहीं चलता। आइए मिलते हैं, ऐसे ही दो परिवारों से

फैमिली मेंबर्स

रजनीश मिश्रा, पत्‍‌नी- मोनिका मिश्रा, बेटा- कुशाग्र मिश्रा, बेटी- वेन्या मिश्रा

इन दिनों पूरा परिवार सुबह सात बजे सोकर उठ जाता है और घर की साफ-सफाई के बाद हम एक साथ नाश्ते की टेबल पर पहुंच जाते हैं। नौ बजे रामायण भी हम एक साथ ही देखते हैं। जब रामायण खत्म होती है तो मैं घर से ही ऑफिस का काम निपटाता हूं और बच्चे पढ़ाई करने चले जाते हैं।

दो बजे लंच का समय

दोपहर दो बजे लंच करने के बाद बच्चे और पत्‍‌नी रेस्ट करने चले जाते हैं, इस समय मैं न्यूज चैनल देखकर टाइम पास करता हूं। साढ़े चार बजे बच्चे, पत्‍‌नी और मैं खुद फिटनेस के लिए एक रूम में पहुंच जाते हैं।

शाम को दोस्तों से फोन पर बात

शाम के छह बजते ही बच्चे पढ़ाई करने चले जाते हैं और पत्‍‌नी घर के बाकी काम निपटाकर खाना बनाने में लग जाती है। इस समय मैं अपने दोस्तों से फोन पर बात कर उनका हाल-चाल लेता हूं। रात साढ़े आठ बजे हम डिनर करते हैं। इसके बार फिर रामायण देखी जाती है और फिर बच्चों के साथ कुछ देर खेलने के बाद सब सोने चले जाते हैं।

रजनीश मिश्रा, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान

कोट

डॉकडाउन के शुरुआती दो दिन तो घर में रहना काफी मुश्किल रहा लेकिन जब से पापा ने शेड्यूल बना दिया, तब से टाइम कब गुजर जाता है, पता ही नहीं चलता। पहले पापा बिजी रहते थे और हमें टाइम नहीं दे पाते थे, लेकिन इन दिनों पूरे दिन वह हमारे साथ रहते हैं।

कुशाग्र और वेन्या

अब तो दिन भी मेरे लिए हो गया है रात

फैमिली मेंबर्स

सर्वेश अस्थाना, पत्‍‌नी- अंजू अस्थाना, बेटा- सर्वज्ञ, बेटी- काव्या

कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन अब हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। लॉकडाउन की वजह से हम लोगों की रात अब दिन और दिन रात हो गई है। कवि सम्मेलन में जाने के कारण मेरी तो रात में जागने की आदत है, लेकिन आजकल तो पूरा परिवार देर रात तक जाग रहा है।

सुबह देखते हैं रामायण

हम रात को ताश खेलकर, बातें करके अपना टाइम पास कर रहे हैं। सभी लोग काफी देर से सोने जा रहे हैं। वहीं सुबह टीवी पर रामायण, महाभारत और पुरानी फिल्में देखकर समय बिताया जा रहा है। सुबह उठकर मैं कूड़ा देने, सब्जी लेने के बाद आजकल खुद ही चाय बना रहा हूं।

फेसबुक भी बनी सहारा

इसके बाद कुछ समय के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप को चेक करता हूं। पीछले दस वर्षो से गीता पढ़ रहा हूं। ऐसे में मैंने गीता को अवधी मुक्तक में लिखना शुरू किया है। गीता के श्लोकों के अर्थ को पहले हिंदी में समझता हूं और उसके बाद अवधी में लिखता हूं। उम्मदी है कि इस लॉकउाउन के खत्म होने के साथ यह काम भी पूरा हो जायेगा।

लोगों को कर रहा हूं अवेयर

शाम को 5-6 बजे तक फेसबुक लाइव आकर लोगों को कोरोना संबंधी बाते समझाकर अवेयर कर रहा हूं। बच्चे सर्वज्ञ और काव्या भी घर के काम में हाथ बटाने लगे है। वाइफ अंजू घर का काम से लेकर किचन तक संभाल रही है। लॉकडाउन अब हम लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है। मैंने अपने अकेलेपन को एकांत में बदल दिया है।

सर्वेश अस्थाना, कवि

कोट

लॉकडाउन ने पूरा रूटीन बदल गया है। घर पर रहकर पापा को लाइव टेलीकास्ट करने में मदद करता हूं। घर की साफ-सफाई भी करने लगा हूं। इसके साथ दोस्तों के साथ बाते और पढ़ाई के बारे में बात होती है।

सर्वज्ञ अस्थाना

बोरियत से बचने के लिए मैंन खाना बनाना सीख लिया है। घर के काम में मां की मदद करती हूं। इसके साथ मोहल्ले के स्ट्रीट डॉग्स को खाना बनाकर खिलाती हूं। ताकि वो भी भूखे नहीं रहे।

काव्या अस्थाना

Posted By: Inextlive