इस मजबूरी के चलते ओपनिंग करने आए थे सचिन, नीचे खेलते तो न बन पाते भगवान
कानपुर। 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ कराची में 16 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट खेला था। एक बार टीम में आने के बाद सचिन करीब दो दशक से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। सचिन हमेशा से ओपनर बल्लेबाज नहीं रहे हैं। पहले वह निचले क्रम में आकर बल्लेबाजी किया करते थे। अगर ऐसा ही चलता रहता, तो शायद सचिन कभी भगवान नहीं बन पाते। वो तो अच्छा हुआ 24 साल पहले 1994 में उन्हें पहली बार भारतीय पारी की शुरुआत करने का मौका मिला। दरअसल हुआ यूं कि भारत टीम उस वक्त न्यूजीलैंड दौरे पर थी। चार मैचों की सीरीज का दूसरा वनडे ऑकलैंड में खेला जा रहा था। मेजबान टीम ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की और सिर्फ 142 रनों पर कीवी पारी सिमट गई। अब भारत को जीत के लिए 143 रनों की जरूरत थी।
यह लक्ष्य तो आसान था, मगर तत्कालीन भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के लिए चिंता की बात यह थी कि आपेनिंग करने कौन जाएगा। क्योंकि रेगुलर ओपनर रहे नवजोत सिंह सिद्धू गर्दन में अकड़न के कारण वह मैच नहीं खेल रहे थे। कप्तान के साथ-साथ कोच भी परेशान थे कि किस बल्लेबाज को सिद्धू की जगह ओपन करने भेजा जाए। उस टीम में सचिन तेंदुलकर भी थे, हालांकि सचिन ने पांच साल पहले ही वनडे डेब्यू कर लिया था मगर उन्हें कभी ओपनिंग का मौका नहीं मिला था। खैर अजहर ने दांव चला और सचिन को जडेजा के साथ ओपनिंग करने भेज दिया। तेंदुलकर ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाया।
साल 1989 में अपना पहला वनडे खेलने वाले सचिन अगले पांच सालों तक निचले क्रम में बल्लेबाजी करते रहे। इस दौरान उन्होंने 116 मैच खेले जिसमें 33 की औसत से 3116 रन बनाए। मगर उस दिन सचिन को ओपनिंग करने का मौका मिला और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाते हुए उस जगह को परमानेंट कर लिया। बतौर ओपनर सचिन ने वनडे में 344 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 48.29 की औसत से 15,310 रन बनाए।सचिन या कोहली? जानें किसने बनाए थे 30 की उम्र में सबसे ज्यादा रनआज ही के दिन सचिन-गांगुली ने अकेले खेल डाला था पूरा मैच, बनाए थे इतने रन