23 मार्च का दिन कभी नहीं भूलती इंडिया, धोनी से 8 साल पहले भारत जीत सकता था वर्ल्डकप
कानपुर। भारतीय टीम वनडे में सिर्फ दो बार विश्व चैंपियन बनी है। पहली बार 1983 में कपिल देव ने भारत को वर्ल्डकप जितवाया था तो दूसरी बार 2011 में एमएस धोनी की अगुआई में भारत विश्व विजेता बना। हालांकि इस बीच एक मौका और आया था जब भारत वर्ल्डकप जीत सकता था। ये मौका था साल 2003 का, ये विश्वकप तीन देशों (साउथ अफ्रीका, जिंबाब्वे और केन्या) ने मिलकर होस्ट किया था। जिसमें भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी मगर इस खिताबी जंग में टीम इंडिया का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ और फाइनल में कंगारुओं ने भारतीय टीम को इतनी बुरी पटखनी दी कि हर भारतीय का दिल टूट गया।
गांगुली कर रहे थे कप्तानीइस विश्वकप में भारतीय टीम की कमान मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के हाथों में थी। धोनी से पहले दादा का भारत का सबसे सफल कप्ताना माना जाता था। गांगुली ने भारत को कई बड़ी-बड़ी सीरीज जितवाई थी। यही नहीं 2003 विश्वकप में भारत को फाइनल में पहुंचाने का श्रेय भी दादा को ही जाता है मगर खिताबी मुकाबले में भारत की एक गलती ने उन्हें चैंपियन बनने से रोक दिया। ये गलती थी, कंगारु कप्तान रिकी पोंटिंग का विकेट न लेना। इस मुकाबले में पोंटिंग ने अपने करियर की सबसे यादगार पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई थी।
#OnThisDay in 2003, Australia sealed a second consecutive @CricketWorldCup title 🏆Captain @RickyPonting's brilliant 140 led them to a 125-run win over 🇮🇳 pic.twitter.com/rpKwL9rEh1— ICC (@ICC)
वर्ल्डकप फाइनल में इतने बड़े लक्ष्य का पीछा आसान नहीं रहता। वहीं कंगारु टीम टूर्नामेंट में अजेय थी, ऐसे में उनका कांफिडेंस काफी हाई था। खैर भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ओपनिंग करने आए। अभी पांच मिनट ही हुए थे कि भारत को पहला झटका लग गया, वो भी सचिन तेंदुलकर के रूप में। सचिन 4 रन के स्कोर पर मैकग्रॉथ का शिकार बने। हालांकि दूसरे छोर पर सहवाग जबरदस्त बैटिंग कर रहे थे। मगर उनका कोई साथ नहीं दे पाया। इसके बाद एक-एक करके विकेट गिरते गए। वीरू भी 82 रन पर रनआउट हुए और पूरी भारतीय टीम 234 रन पर ऑलआउट हो गई। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया ने 125 रन से मैच जीत लिया और भारत का दिल टूट गया।