बच्चे की लंबाई नहीं बढ़ रही. इस बात से परेशान अभिभावकों के लिए तनाव घटाने वाली खबर है. एसएन मेडिकल कॉलेज के फॉर्मेसी विभाग ने कद बढ़ाने की नई दवा तैयार करने में कामयाबी हासिल की है. इसके बाद लंबाई के लिए हर दिन इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं. सिर्फ एक डोज पूरे सप्ताह में लेनी होगी. दवा का साइड इफेक्ट भी कम होगा. इलाज के खर्च में भी कमी आएगी. सस्टेंट रिलीज प्रोडक्ट नई दवा को पेटेंट कराने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द एक कंपनी बाजार में दवा भी उतारने जा रही है.


हाइट के लिए सोमोटोट्रॉपेन जिम्मेदारग्रोथ हारमोंस में कमी या फिर किसी अन्य बीमारी की वजह से बच्चों की हाइट नहीं बढ़ती है. इसके पीछे मुख्य रूप से सोमोटोट्रॉपेन केमिकल को जिम्मेदार माना जाता है. बाजार में हाइट बढ़ाने की तमाम दवाएं और इंजेक्शन मौजूद हैं. यह इंजेक्शन या फिर दवाएं हर दिन लेने पड़ते हैं. हर रोज दवा खाने से बच्चों में इनके साइड इफेक्ट भी दिखाई पड़ने लगते हैं. इस परेशानी को समझते हुए एसएन मेडिकल कॉलेज के फॉर्मेसी विभाग अध्यक्ष डॉ. पवन गौतम ने शोध शुरू किया. छह माह तक इसमें कोई सफलता नहीं मिली.तीन साल के प्रयास के बाद नई दवा
इसके बाद सस्टेंट रिलीज प्रोडक्ट का नया फार्मूला तैयार करने में कामयाबी मिलनी शुरू हो गई. करीब तीन साल के प्रयास के बाद अब नई दवा तैयार कर ली गई है. डॉ. गौतम के अनुसार पैसेटिव इनग्रेडियंट्स (ग्रोथ हारमोन बढ़ाने में सहायक तत्व) दवा के निर्माण में अहम भूमिका वाले हैं. उनका कहना है कि नई दवा की एक डोज प्रति सप्ताह लेने से ही बच्चों की लंबाई बढ़ने लगेगी. उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे को दवा का डोज उसके शारीरिक विकास के आधार पर दिया जाता है. इसके चलते सिंगल डोज अधिक कारगर होगा. नई दवा को इली-लिली बाजार में जल्द ही उतारने जा रही है. उन्होंने कहा कि नई दवा को पेटेंट कराने के लिए केंद्रीय दवा नियंत्रण विभाग के माध्यम से अमेरिका के खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग को आवेदन किया गया है.चूहे और खरगोश पर सफल रहा परीक्षणसिंगल डोज दवा के फार्मूला का आइडिया डॉ. पवन को बच्चों की परेशानी देखकर ही आया. हर दिन दवा खाने अथवा इंजेक्शन लगवाने में अक्सर बच्चे आनाकानी करते हैं. डॉ. पवन के मुताबिक जून 2003 में उन्होंने सस्टेंट रिलीज प्रोडक्ट पर शोध कार्य शुरू किया था. तीन साल के भीतर उन्होंने चूहों और खरगोशों पर दवा का परीक्षण किया. इससे ग्रोथ हारमोंस में बढ़ोतरी हुई और इसके परिणाम अच्छे मिले. शोध का काम जुलाई 2006 में पूरा हुआ. इसके बाद कई दवा कंपनियों से संपर्क किया पर बात नहीं बनी. डॉ. पवन ने बताया कि करीब छह माह पहले डॉ. पवन ने इली-लिली से दवा के बारे में जानकारी साझा की. कंपनी के एक अफसर ने रुचि दिखाई. जिस पर कंपनी के साथ करार हुआ.सस्ती के साथ कम होंगे साइड इफेक्टसस्टेंट रिलीज प्रोडक्ट अलग-अलग डोज में मिलेगा. डॉ. पवन के अनुसार इंजेक्शन की 7500 रुपये प्रति डोज से शुरू होकर करीब साढ़े नौ हजार रुपये तक प्रस्तावित है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh